छात्रों का तो ‘भला’ हो रहा था, लेकिन इरादा मुनाफा कमाने का था। इसलिए बच्चू फंस गए। खेल बिगड़ गया। क्राइम ब्रांच ने एक लाख पायरेटेड किताबें पकड़ लीं हैं। कैसे हुआ पर्दाफाश? छापा मारा

पुलिस के हाथ बहुत लंबे होते हैं। सही सूचना, सही समय पर मिले तो काम तमाम होना तय है। क्राइम ब्रांच मेरठ को एक सप्ताह पहले एनसीईआरटी के पायरेटेड कॉपी छापे जाने की सूचना मिली। क्राइम ब्रांच इनवेस्टीगेशन में लग गई। मंगलवार को एसीएम सदर और कोतवाली सर्कल की पुलिस ने मिलकर गोलाकुआ के हाजी इलयास चौक स्थित एक गोदाम पर अचानक छापा मारा। यहां पर नौंवी से लेकर बारहवीं तक की किताबों की पायरेटेड कापी की बाइंडिंग हो रही थी। नौचंदी थाने के पीछे उस कारखाने में भी छापा मारा गया जहां पर इन किताबों की छपाई हो रही थी। क्राइम ब्रांच की एक टीम ने बी-4 सिंघल भवन प्रीत विहार में छापा मारकर किताबों की प्रिंटिंग प्लेट और कुछ अन्य छपी किताबें जब्त की।

चार पकड़े

हाजी इलयास चौक के गोदाम पर ही पुलिस ने एक टैंपो को भी जब्त किया जिससे की बाजार में किताबें सप्लाई की जा रही थी। टैंपो का माल जब्त कर लिया गया है। कुल मिलाकर पुलिस ने करीब एक लाख किताबें जब्त की हैं। यहां से पुलिस ने जावेद, इमरान, इरफान समेत एक अन्य को गिफ्तार किया है। फिलहाल पुलिस ने दिल्ली क्राइम ब्रांच और एनसीईआरटी के अधिकारियों को इसकी सूचना दे दी है.कितनी होती है डिमांड

क्राइम ब्रांच ने नौंवी से बारहवीं तक की करीब एक लाख किताबें जब्त की है। अनुमान लगाया जाए तो मेरठ में ही नौंवी से बारहवीं तक करीब 30 से पैंतीस हजार बच्चे पढ़ते हैं जिन्हें एनसीईआरटी की किताबों की जरूरत पड़ती है। उसमें भी करीब छह सब्जेक्ट होते हैं। इस हिसाब से एक लाख अस्सी हजार किताबों की जरूरत होती है। ऐसे में मेरठ में इन किताबों को खपाने के लिए बड़ा बाजार मौजूद है।

आस पास भी सप्लाई

सीजन और डिमांड को देखते हुए ही ये काम यहां चल रहा था। सूत्रों की माने तो ये लोग सिर्फ मेरठ ही नहीं आसपास के इलाकों में भी यहीं से सप्लाई की जा रही थी। जिसके लिए पहले भी कई खेप सप्लाई की जा चुकी है।

नहीं छाप सकते किताबें

एनसीईआरटी के कापी राइट के तहत किताब के किसी भी भाग या पूरी किताब का पब्लिकेशन पूरी तरह से अवैध है। एनसीईआरटी ने बाकायदा इसके लिए कापी राइट एक्ट अपनी वेबसाइट पर अपलोड किया है।

होती है कमी

सीबीएसई का आदेश है कि स्कूलों में एनसीईआरटी की किताबें ही लगाई जाएं। लेकिन ये किताबें कई बार कमी के कारण बाजार में अगस्त तक भी नहीं मिल पाती हैं। जिस कारण बच्चों की पढ़ाई बाधित होती है। एनसीईआरटी की तरफ से हर साल इसी तरह की देरी होती है। इसी संकट का फायदा उठाते हुए इन लोगों ने एनसीईआरटी की किताबों की पायरेटेड कॉपी छापनी शुरू कर दी। जिनकी बाजार में मांग भी जोरों पर है।

स्कूलों ने नहीं भेजी डिमांड

सीबीएसई को इसका आभास पहले से ही था कि कुछ लोग किताबों की कमी का फायदा ऐसे लोग उठा सकते हैं। इसी के चलते इस बार से सीबीएसई ने स्कूलों को डायरेक्ट किताबें सप्लाई करने का प्रोसेस शुरू किया था। जिसके तहत स्कूल अपनी डिमांड और डिमांड के हिसाब से पैमेंट पहले करेंगे। उसके बाद स्कूल की डिमांड के हिसाब से स्कूल को किताबें भेज दी जाती। लेकिन स्कूलों की सेटिंग प्राइवेट पब्लिशर से पहले ही हो जाती है। इस लिए अधिकतर स्कूलों ने सीबीएसई को कोई डिमांड ही नहीं भेजी। सभी स्कूलों ने अपने यहां पर किताबें बेचने के स्टॉल लगा रखे हैं।

"हमें इसकी सूचना मिली थी। एक हफ्ते तक नजर रखने के बाद आज छापा मारा गया। यहां से एक लाख किताबें जब्त की गई है। चार लोगों से पूछताछ जारी है। दिल्ली एनसीईआरटी को सूचना दे दी गई है."

-उदय शंकर, एसपी क्राइम

"किताबों की पायरेसी करना बहुत गलत है। अगर ऐसा हो रहा था तो उन लोगों को कड़ी से कड़ी सजा होनी चाहिए। ऐसे लोगों को किसी भी हाल में बख्शा ना जाए."

- नगीन चंद जैन, ऑनर, नगीन चंद जैन पब्लिकेशन

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