- शहर में अवैध रूप से चल रहे एक हजार से अधिक नर्सिग होम

- रजिस्टर्ड ना होने से प्रॉपर इंसिनेटर नहीं होता इनका मेडिकल वेस्ट

- पॉल्युशन कंट्रोल बोर्ड और सीएमओ ऑफिस फोड़ रहे एक दूसरे पर ठीकरा

GORAKHPUR: शहर में गली-गली खुले नर्सिग होम और पथोलॉजी शहरवासियों की सेहत को भयानक खतरे में डाल रहे हैं। यहां अवैध रूप से चल रहे एक हजार से अधिक नर्सिग होम और पैथोलॉजी सेंटर्स से डेली निकलने वाले मेडिकल वेस्ट को इंसीनेटर में डिस्पोज कराना तो दूर, अस्पताल संचालक खुले में फेंकवा दे रहे हैं। वहीं, इसकी निगरानी की जिम्मेदारी निभाने वाले पॉल्युशन कंट्रोल बोर्ड और सीएमओ ऑफिस जिम्मेदारी मानने की जगह एक दूसरे पर ही ठीकरा फोड़ पल्ला झाड़ने में लगे हैं। सीएमओ जहां इसे पॉल्युशन कंट्रोल बोर्ड और नगर निगम की जिम्मेदारी बता रहे हैं तो वहीं पॉल्युशन कंट्रोल बोर्ड के जिम्मेदार मैनपावर की कमी का रोना रो रहे हैं।

खुले में डाल देते अस्पताल का कचरा

शहर में चल रहे अवैध अस्पतालों के संचालकों की मनमानी का आलम ये है कि अस्पताल से निकले कचरे को खुले में ही इधर-उधर फेंक दिया जाता है। जिसके चलते जानवरों से लेकर इंसानों तक को खतरनाक इंफेक्शन हो सकता है। यही नहीं प्लास्टिक सिरिंज और कांच का वेस्टेज कबाडि़यों को बेच दिया जाता है। पॉलीथिन उठाने वाले लोग भी इस वेस्ट को कबाडि़यों के पास बेच देते हैं। इसके अलावा काफी संख्या में बगैर ऑथराइजेशन के चल रहे क्लीनिक और नर्सिग होम भी अवैध रूप से वेस्ट को खुले में डाल रहे हैं।

खलीलाबाद में डिस्पोज होता है मेडिकल वेस्ट

बता दें, शहर में करीब 817 प्राइवेट हॉस्पिटल, नर्सिग होम, अल्ट्रासाउंड सेंटर, क्लीनिक और पैथोलॉजी सीएमओ ऑफिस में रजिस्टर्ड हैं। इसके अलावा सरकारी अस्पतालों में जिला अस्पताल, महिला जिला अस्पताल, 19 ब्लॉकों में पीएचसी व सीएचसी मौजूद हैं। इन सभी से रोजाना भारी मात्रा में मेडिकल वेस्ट निकलता है। स्वास्थ्य विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक इन सभी के मेडिकल वेस्ट को खलीलाबाद में बने इंसीनेटर में डिस्पोज कराने भेज दिया जाता है। लेकिन सूत्रों की मानें तो शहर के गली-मोहल्लों में चल रहे करीब एक हजार से अधिक अवैध नर्सिग होम और क्लीनिक के मेडिकल वेस्ट निस्तारण का कोई इंतजाम नहीं है। इनके संचालक मेडिकल वेस्ट को खुले में ही फेंकवा देते हैं। जबकि पॉल्युशन कंट्रोल बोर्ड और सीएमओ ऑफिस दोनों को ही इसकी कोई जानकारी तक नहीं है।

यह है नियम

सभी सरकारी और प्राइवेट अस्पतालों को मेडिकल वेस्ट के निस्तारण के लिए उचित इंतजाम करना होता है। इंसीनेटर में ही इसे डिस्पोज करना होता है। पुरुष और महिला अस्पतालों के अलावा बाहर ब्लॉक में मौजूद पीएसची और सीएचसी के मेडिकल वेस्ट डिस्पोज करने की जिम्मेदारी खलीलाबाद की फर्म एमपीसी को सौंपी गई है। फर्म मेडिकल वेस्ट का डिस्पोजल खलीलाबाद में लगी साइट पर करती है। कंपनी द्वारा कूड़ा उठाने के साथ ही अस्पतालों को वेस्टेज बैग, प्रोटेक्शन यूनिट, मास्क, केमिकल आदि की सप्लाई करने की भी जिम्मेदारी है।

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मेडिकल कॉलेज खुद करता है निस्तारण

बीआरडी मेडिकल कॉलेज प्रशासन अपने यहां के मेडिकल वेस्ट का निस्तारण खुद कराता है। 1050 बेड वाले वार्डो से निकलने वाला कचरा सीधे मेडिकल कॉलेज के इनसिनेटर में भेजा जाता है। जहां पर अलग-अलग कचरे का निस्तारण किया जाता है।

मेडिकल वेस्ट डिस्पोजल के नियम

- हॉस्पिटल मैनेजमेंट को हॉस्पिटल से निकलने वाला वेस्ट तीन हिस्सों में बांटना होता है।

- ब्लड, मानव अंग जैसी चीजों को रेड डिब्बे में डालना होता है।

- कॉटन, सिरिंज, दवाइयों को पीले डिब्बे में डाला जाता है।

- मरीजों के खाने की बची चीजों को ग्रीन डिब्बे में डाला जाता है।

- इन डिब्बों में लगी पॉलिथीन के आधे भरने के बाद इसे पैक करके अलग रख दिया जाता है।

इनके मेडिकल वेस्ट का डेली होता है डिस्पोजल

जिला अस्पताल - 305 बेड

जिला महिला अस्पताल - 205 बेड

मेडिकल कॉलेज - 1050 बेड

प्राइवेट हॉस्पिटल - 323

अल्ट्रासाउंड सेंटर - 234

पैथोलॉजी - 82

क्लीनिक - 178

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तीन चरणों में होता है डिस्पोजल मेडिकल वेस्ट उठाने वाली एजेंसी ने हॉस्पिटल, नर्सिग होम समेत मेडिकल संस्थानों में तीन रंग वाले डिब्बे रखे हैं। लाल रंग वाले डिब्बे में प्लास्टिक वेस्ट रखे जाते हैं। पीले रंग के डिब्बे में इनसिनेटर वेस्ट को रखा जाता है। ब्लड बैग, मांस के हिस्से, सर्जरी के दौरान निकलने वाले वेस्ट को इनमें रखा जाता है। कांच आदि वेस्ट को नीले रंग के डिब्बे में रखा जाता है। प्लास्टिक वेस्ट को ऑटो क्लेव कर छोटे-छोटे टुकड़ों में तोड़कर री-साइकिलिंग के लिए भेजा जाता है। पीले रंग वाले सर्जरी वेस्ट इनसिनेटर को डिस्पोज (बगैर हवा के जलाना) किया जाता है।

वर्जन

पॉल्युशन कंट्रोल बोर्ड के पास मैनपावर की काफी कमी है इसके चलते छापेमारी नहीं हो पा रही है। मैनपावर के लिए शासन से डिमांड की गई है लेकिन अभी तक खाली पद भरे नहीं जा सके हैं। इसके लिए सीएमओ की एक कमेटी बनी है। उन पर ही अवैध निजी अस्पताल व नर्सिग होम, क्लीनिक के जांच की जिम्मेदारी है। साथ ही मौके पर पॉल्युशन के नियमों का कोई पालन नहीं कर रहा है तो कार्रवाई करने का भी अधिकार है।

- घनश्याम, रीजनल पॉल्युशन कंट्रोल ऑफिसर

पॉल्युशन कंट्रोल बोर्ड और नगर निगम की मेडिकल वेस्ट निस्तारण कराने की जिम्मेदारी है। उन्हीं के लाइसेंस पर निजी अस्पताल व लैब का रजिस्ट्रेशन किया जाता है। हेल्थ डिपार्टमेंट अक्सर छापेमारी करता है। जहां भी इस तरह की गड़बड़ी मिलती है तत्काल पॉल्युशन डिपार्टमेंट को सूचित किया जाता है। कार्रवाई और जुर्माना लगाने का अधिकार पॉल्युशन कंट्रोल बोर्ड का है।

- डॉ। श्रीकांत तिवारी, सीएमओ