- शहर के पांच हजार स्थानों पर गणेश उत्सव में बप्पा बिराजेंगे

- एक ट्राली काली मिट्टी तीन से चार हजार रुपए की मिल रही है

- लास्ट इयर की तुलना में दो से पांच हजार रुपए महंगी होंगी गणेश प्रतिमा

- शहर में हमीरपुर और कानपुर देहात से लाई जा रही अवैध खनन की मिट्टी

KANPUR:

सिटी के गणेश पांडालों में इस बार अवैध खनन की मिट्टी के बने गजानन बिराजेंगे। यही वजह है कि मिट्टी की कालाबाजारी होने की वजह से गणेश की प्रतिमाएं पिछले साल की तुलना में इस बार एक से पांच हजार रुपए के बीच महंगी होंगी। मिट्टी के अलावा बांस कपड़ा और लकड़ी का पटरा भी महंगा हो गया है। इस महंगाई का प्रभाव भी गजानन की प्रतिमाओं पर पड़ेगा।

काली मिट्टी से

गणपति की प्रतिमा बनाने में इस्तेमाल की जाने वाली काली मिट्टी की एक ट्रैक्टर ट्राली तीन से चार हजार रुपए की बीच मिल रही है। जो पिछले साल तक दो से ढाई हजार के बीच मिल जाती थी। सिटी में करीब तीन से पांच हजार स्थानों पर गणेश उत्सव 17 से 27 सितंबर के बीच मनाया जाएगा। गणपति की हाइट के अनुसार उनकी कीमत तय होगी।

चार फिट की प्रतिमा, चार बोरी मिट्टी

गणेश जी की चार फिट की प्रतिमा बनाने में चार बोरी मिट्टी की जरूरत होती है। जिसमें दो बोरी काली चिकनी मिट्टी होती है और करीब दो बोरी रेता मिट्टी का प्रयोग किया जाता है। मिट्टी खनन पर शासन ने रोक लगा रखी है। यही वजह है कि गणेश जी की प्रतिमाओं को बनाने के लिए अवैध खनन की मिट्टी का प्रयोग किया जा रहा है। एक ट्राली में करीब 30 बोरी मिट्टी आती है।

दूसरे जिलों से मिट्टी लाई जा रही

सिटी में मिट्टी का अवैध खनन नहीं हो पा रहा है। गणेश जी की मूर्ति बनाने के लिए मिट्टी हमीरपुर व कानपुर देहात, फतेहपुर के एरिया से लाई जा रही है। बीते साल एक ट्राली मिट्टी दो से ढाई हजार रुपए में मिल जाती थी। इस बार एक ट्राली मिट्टी तीन से चार हजार रुपए के बीच मिल रही है। वह भी चोरी से छिपाकर लाई जा रही है। काकादेव पुलिस ने शुक्रवार की सुबह एक ट्राली मिट्टी रोकी बाद में मामला रफा दफा कर दिया गया।

काली व रेता मिट्टी कैसी होती

काली चिकनी मिट्टी धान या फिर गन्ने के खेत की होती है। इस मिट्टी की खासियत होती है कि इसमें पानी अंदर नहीं जा पाता है। इस मिट्टी का डोंगा भी प्रतिमा के बनाने में प्रयोग किया जाता है। जहां पर जोड़ होता है वहां पर कॉटन का कपड़ा इसी डोंगे में भिगोकर लगा दिया जाता है ताकि लाने ले जाने पर जोड़ टूटने न पाए। काली मिट्टी में भूसा मिलाते हैं ताकि क्रैक न आए। प्रतिमा में हाथ पैर का आकार देने के लिए पुआल का प्रयोग करते हैं। बालू की रेता वाली मिट्टी लगाने से प्रतिमा चिटकती नहीं है।

बांस, कॉटन पटरा भी महंगा

लास्ट इयर जो बांस 100 से 150 रुपए में मिल जाता था। वही बांस इस बार 150 से 200 रुपए के बीच में मिल रहा है। इसके अलावा कॉटन का पुरानी धोती का प्रयोग करते हैं। पिछले साल तक यह धोती 20 से 30 रुपए में मिल जाती थी। अब यह धोती भी 40 से 50 रुपए की हो गई है। लकड़ी पटरे का बेस बनाकर मूर्ति बनाते हैं। अब यह पटरा 50 रुपए के स्थान पर 75 से 80 रुपए के बीच मिल रहा है।

दस फिट के गजानन 25 हजार में

गणेश उत्सव के लिए बनाई जा रही मूर्ति को बनाने में प्रति फीट 1500 रुपए का खर्च आ रहा है। दस फिट की मूर्ति करीब 15 हजार रुपए में बनकर तैयार होती है। इसके बाद कारीगर इस मूर्ति को 20 से 25 हजार रुपए के बीच में बेचते हैं। आठ फिट की मूर्ति 15 से 21 हजार रुपए के बीच में मिल जाती है। चार फिट की मूति बनाने में करीब 7 हजार रुपए खर्च होते हैं।

लंबोदर ब्रजेन्द्र स्वरूप पार्क में गणपति बप्पा का आवाहन

सार्वजनिक श्री गणेश उत्सव समिति कानपुर के संरक्षक डॉ.अंगद सिंह ने बताया कि पहली बार ब्रजेन्द्र स्वरूप पार्क में गणपति बप्पा की स्थापना की जाएगी। पार्क में 17 सितंबर की शाम को गणपति बप्पा का आह्वान किया जाएगा।

मूर्तियों की झांकी लगेगी

कमेटी के शैलेन्द्र त्रिपाठी ने बताया कि ब्रजेन्द्र स्वरूप पार्क में गणेश की विभिन्न रूप वाली प्रतिमाएं भक्तों के दर्शन के लिए 15 से 17 सितंबर के बीच रखी जाएंगी। यहीं से सिटी की गणेश कमेटियों को गणेश जी की प्रतिमाएं विदाउट एनी कास्ट दी जाएंगी। गणेश उत्सव कमेटी बीते बीस साल से यह सिलसिला चला रही है। सिटी की करीब सौ कमेटियों के लेटर अभी तक मिल चुके हैं।

5 हजार स्थानों पर विराजेंगे गजानन

कमेटी के हरीश भदौरिया ने बताया कि गणपति की करीब दो सौ प्रतिमाएं बनवाई जा रही हैं। 1 जुलाई से मूर्तियों के निर्माण का काम आवंतिका लॉन व आरएस पुरम में चल रहा है। मूर्ति का निर्माण की जिम्मेदारी सीएसजेएमयू के फाइन आर्ट डिपार्टमेंट के हेड डॉ। प्रहलाद सिंह को सौंपी गई है। वह विगत कई साल से कमेटी के लिए काम कर रहे हैं। सिटी में करीब तीन से पांच हजार स्थानों पर गणेश जी की स्थापना की जाती है।

225 गणेश प्रतिमाएं बन रहीं

छत्रपति साहू जी महाराज यूनिवर्सिटी के इंस्टीट्यूट ऑफ फाइन आर्ट के एचओडी डॉ। प्रहलाद सिंह बीते कई साल से सार्वजनिक श्री गणेश उत्सव कमेटी कानपुर की मूर्तियों के निर्माण में जुटे हैं। इस बार भी गणेश जी की विभिन्न मुद्राओं की मूर्तियों के निर्माण में उनकी टीम पूरी शिद्दत से जुटी है। आवंतिका लॉन में कारीगर लंबोदर को सजाने व संवारने का काम कर रहे हैं। इस बार 3 से 10 फिट के गजानन तैयार कराए जा रहे हैं। कमेटी के लिए करीब 225 गणेश प्रतिमाएं बनाई जा रही हैं।