RANCHI: महिला बाल विकास विभाग ने रामगढ़ में चल रहे अवैध शेल्टर होम पर बंद कराने का आदेश वहां के उपायुक्त को दिया था, लेकिन यह आदेश अब तक कागजों पर ही सिमटा है। अवैध शेल्टर होम आज भी रामगढ़ में धड़ल्ले से चल रहे हैं। इस मामले को लेकर बाल संरक्षण आयोग की टीम ने उक्त शेल्टर होम की जांच की थी और उनमें बहुत खामियां भी पाई थी। बाल संरक्षण आयोग में पत्र के माध्यम से ही रामगढ़ के उपायुक्त को उक्त शेल्टर होम बंद करने का निर्देश दिया था। लेकिन आदेश पर कार्रवाई नहीं हुई और शेल्टर होम निर्विवाद रूप से चल रहा है।

बच्चों का निवाला हड़प रहे पदाधिकारी

इधर आईसीपीएस द्वारा आवंटित बच्चों के भोजन के लिए जो भी राशि दी जाती है। उसे बाल समाज कल्याण विभाग के पदाधिकारी हड़प जाते हैं। ऐसे में बच्चों को भोजन नहीं मिल पाता है और वे भूखे सोने को विवश हो जाते हैं। इसका खुलासा रामगढ़ में पदस्थापित पूर्व मेंबर ने किया है। मेंबर का कहना है कि रामगढ़ में बाल समाज कल्याण विभाग के पदाधिकारी और बाल कल्याण समिति के लोगों द्वारा बच्चों का निवाला छीना जा रहा है। यहां तक की जिन बच्चों को रेस्क्यू किया जा रहा है उनके मामले में कोई देख-रेख या फॉलो नहीं किया जा रहा है। इससे बच्चा कहां है क्या कर रहा है इस संबंध में ना तो विभाग को जानकारी दी जा रही है और ना ही कोई रिपोर्ट तैयार की जा रही है।

शेल्टर होम में 18 वर्ष से ऊपर के बच्चे

जिन बच्चों की उम्र 16 से 18 वर्ष है, उन्हें आफ्टर होम में रखने का प्रोविजन है। लेकिन उन बच्चों को शेल्टर होम में रखा जा रहा है। बताया जा रहा है कि रामगढ़ के कैथा में स्व। तिला देवी आवासीय विद्यालय में अनाथ बच्चों को रखा जा रहा है। यह संस्था जेजे एक्ट में पंजीकृत नहीं है। यहां से बच्चों को सीडब्ल्यूसी में प्रस्तुत नहीं किया जाता है। एक ही कैंपस में लड़के एवं लड़कियों को रखा जाता है। वर्तमान में यहां 42 बच्चे हैं। यह संस्था किसके द्वारा चलाया जा रहा है न तो सीडब्ल्यूसी को पता है और न रामगढ़ डीसीपीओ को इसकी जानकारी है। सूचना मांगे जाने के बाद भी अबतक सूचना उपलब्ध नहीं कराई गई है और न ही यहां से बच्चों को सीडब्ल्यूसी में प्रस्तुत किया जाता है। कहा जा रहा है कि सीडब्ल्यूसी एवं जिला बाल संरक्षण इकाई द्वारा अंदरूनी सपोर्ट किया जाता है।