-शहर में डग्गामारों का कब्जा, बेनकाब न हो सका अवैध संचालन का सरगना

GORAKHPUR: शहर के अंदर एक बार फिर अवैध वाहनों का कब्जा हो गया है. वो भी एडीजी ऑफिस और आईजी ऑफिस से महज एक किमी की दूरी पर. इसे संचालकों की मनमानी कहे या अधिकारियों की मिलीभगत कि कोई कुछ नहीं कर रहा. इनका नेटवर्क इतना मजबूत हो गया है कि जब एक सीओ ने केस दर्ज किया तो उसे सस्पेंड कर दिया गया. इसके बाद से डर से छोटे कर्मचारी इन गाडि़यों पर हाथ डालने से डरते हैं.

इस समय गोरखपुर से लखनऊ के बीच धड़ल्ले से अवैध टेंपो ट्रैवेलर चल रहे हैं और पैडलेगंज के पास सवारी भरकर रोडवेज की बसों को चूना लगा रहे हैं. एसपी ट्रैफिक आदित्य प्रकाश वर्मा ने बताया कि टेंपो ट्रैवेलर चलने की शिकायत मिली थी. सोमवार को कार्रवाई कर छह वाहनों को कब्जे में लिया गया था.

सीओ ने की कार्रवाई तो हो गए सस्पेंड

पुलिस से जुड़े लोगों का कहना है कि अवैध वाहनों के संचालन में कुछ लोगों की विशेष कृपा है. नवंबर में बस संचालक विनय कुमार सिंह और कल्लू सिंह के बीच वसूली की बात को लेकर विवाद हुआ था. दोनों गुटों के बीच कई राउंड की मारपीट के बाद तत्कालीन सीओ ट्रैफिक संतोष सिंह हरकत में आए. सीओ ने विनय सिंह के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराकर गिरफ्तार करा दिया. इससे जिले के अफसरों के बीच रार छिड़ गई. जिसका खामियाजा सीओ को भुगतना पड़ा. आईजी रेंज जय नारायण सिंह की जांच रिपोर्ट पर शासन ने सीओ को सस्पेंड कर दिया. अवैध वाहनों को शहर से बाहर निकाल दिया गया. आईजी की जांच में सीओ के अलावा किसी अन्य के खिलाफ कार्रवाई नहीं हुई. अन्य जिम्मेदार इस जांच में बाल-बाल बच गए.

परिवहन माफिया के चंगुल में गोरखपुर पुलिस

शहर में अपराधिक माफिया, भूमि, शराब, लकड़ी माफिया के बाद अवैध वाहन संचालन के परिवहन माफिया की तूती बोल रही. उनके इशारे पर अवैध वाहनों का संचालन हो रहा है माफिया के आगे बेबस पुलिस अधिकारी कार्रवाई से हिचकते रहते हैं. कभी कोई शिकायत मिलने पर एक-दो वाहनों को कब्जे में लेकर पुलिस कार्रवाई करती है. 2018 में पैडलेगंज से अवैध संचालन को लेकर दो गुटों में विवाद के बाद कार्रवाई हुई थी. तब यह बात सामने आई कि परिवहन माफिया के चंगुल में पूरा सिस्टम फंस चुका है.

आईजी भी नहीं कर सके खुलासा

आईजी की जांच में स्पष्ट हुआ था कि अवैध वाहन संचालक आठ सौ से एक हजार रुपए तक प्रति वाहन का भुगतान करते हैं. संचालन कराने वाले अपने गुर्गो के जरिए हर वाहन के ड्राइवर से वसूली कराते हैं. फिर उसे सवारी भरकर आगे बढ़ने दिया जाता है. यदि किसी ड्राइवर ने रुपए नहीं दिए तो उसके वाहन को अवैध स्टैंड पर नहीं आने दिया जाता है. मामला गरम होने पर आईजी ने जांच पड़ताल की. लेकिन तब यह तय नहीं हो सका था कि किसके कहने पर विनय सिंह या अन्य लोग अवैध वसूली करते हैं. अवैध वसूली के खेल में मोटर संचालक विनय सिंह के जेल जाने के बाद मामला शांत हो गया था. लेकिन हाल के दिनों में फिर से वाहन धड़ल्ले से चलने लगे हैं. गोरखपुर से करीब 42 वाहनों का संचालन होता है, जिसका नंबर लगाकर सवारी भरने के बदले संचालक को आठ सौ रुपए देने पड़ते हैं.

मोटर मालिकों के मुताबिक, यह कमाई हर माह पांच लाख रुपए पार कर जाती है. आईजी की जांच में साबित हुआ था कि आठ सौ रुपए की वसूली में संचालक के पास सिर्फ सौ रुपए जाते थे. बाकी सात सौ रुपए प्रति वाहन के हिसाब से किसकी जेब में जा रहे इसके बारे में आईजी की रिपोर्ट में भी कोई खुलासा नहीं किया गया. बाद में इस प्रकरण में शासन स्तर से कोई कार्रवाई नहीं हो सकी.

ऐसे चलता यहां का खेल

गोरखपुर से लखनऊ तक टेंपो ट्रैवेलर का संचालन- 30 से 32 वाहन

पूर्व में होने वाली वसूली की रकम- आठ सौ रुपए प्रति वाहन-प्रति चक्कर

संचालक की जेब में आने वाली कमाई- सौ रुपए प्रति वाहन-प्रति चक्कर

शेष सात सौ रुपए की रकम में कई लोगों की हिस्सेदारी

रोजाना 15 से 20 हजार रुपए का वारा-न्यारा होत है

हर माह तीन से पांच लाख रुपए की अवैध कमाई हाेती है.

वर्जन

शहर के भीतर अवैध वाहनों का संचालन नहीं होने दिया जाएगा. सोमवार को पब्लिक की शिकायत पर कार्रवाई की गई. छह वाहनों को कब्जे में लिया गया था. लगातार अभियान चलाकर कार्रवाई की जाएगी.

आदित्य प्रकाश वर्मा, एसपी ट्रैफिक