-शहर में बन रही बिल्डिंग्स में फायर सेफ्टी सिस्टम को लेकर बरती जाती है लापरवाही

-आग बुझाने के लिए राजधानी रांची में दमकल की 20 गाडि़यां हैं मौजूद

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RANCHI: राजधानी रांची में बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन को लेकर फायर ब्रिगेड से न तो नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट लिए जाते हैं, और न ही इस इस संबंध में कोई रिपोर्ट भेजी जाती है। इस बाबत फायर ब्रिगेड की ओर से डीसी और म्यूनिसिपल कॉरपोरेशन के सीईओ को लेटर भेजा जा चुका है, फिर भी इसपर कोई एक्शन नहीं लिया जा रहा है।

बरती जाती है लापरवाही

फायर स्टेशन के अधिकारी के मुताबिक, यहां बननेवाली बड़ी-बड़ी बिल्डिंग्स में भी फायर सेफ्टी सिस्टम को लेकर लापरवाही बरती जाती है। शहर में ऐसी कई बिल्डिंग्स है जिसमें न तो फायर एक्सीट्यूजंर लगाया गया है और न ही इमरजेंसी में आग बुझाने के लिए बालू से भरी बाल्टी रखी गई है।

फायर बिग्रेड के पार ख्0 दमकल

शहर के डोरंडा फायर स्टेशन समेत धुर्वा, पिस्का मोड़ और आड्रे हाउस में दमकल की ख्0 गाडि़यां हमेशा मौजूद रहती हैं, ताकि आग लगने की स्थिति में आग पर काबू पाया जा सके। यहां दमकलकर्मी की ड्यूटी ख्ब् घंटे की होती है। दमकलकर्मियों की ड्यूटी शिफ्ट वाइज लगती है। इसके अलावा दमकल की गाडि़यों में ख्ब् घंटे पानी रहता है, ताकि जानकारी मिलते ही इसे तुरंत स्पॉट पर रवाना कर आग बुझाने का काम शुरू किया जा सके।

तंग गलियों से परेशानी

स्टेट फायर ऑफिसर महानंद सिंह के मुताबिक, अपर बाजार समेत शहर के विभिन्न इलाकों में ऐसी कई गलियां हैं जो काफी तंग हैं। यदि इन गलियों में स्थित घर, बिल्डिंग अथवा दुकान में किसी वजह से आग लग जाए तो दमकल की गाडि़यों को स्पॉट में लाने में काफी मुश्किलें होती हैं। ऐसे में आग बुझाने के काम में विलंब हो जाता है, जिसका असर जान-माल पर पड़ता है।

घंटी की आवाज भी कारगर नहीं

जिस तरह से सिटी में आग लगने की घटनाएं बढ़ी हैं, उस हिसाब से फायर बिग्रेड को कोई अतिरिक्त सुविधा या संसाधन नहीं उपलब्ध कराया गया है। खासकर रोड के जाम होने से दमकल की गाडि़यों के स्पॉट पर पहुंचने में लेट हो जाता है। दमकल गाडि़यों के द्वारा बजाए जानेवाला सायरन भी कई बार बेअसर साबित होता है। कई बार तो दमकलकर्मी अपनी जान जोखिम में डालकर बचाव कार्य करते हैं।