संगठन का कहना है कि विकसित देशों में रोज़गार के अवसर पहले जैसे होने में कम से कम पाँच साल लगेंगे। आईएलओ ने ये भी कहा है कि जिन 118 देशों का उसने अध्ययन किया है उनमें से 45 में सामाजिक अशांति का ख़तरा बढ़ रहा है। वहीं आर्थिक सहयोग और विकास संगठन यानी ओईसीडी ने कहा है कि इस हफ़्ते कान में जी-20 की बैठक में नेताओं को कड़े फ़ैसले लेने होंगे।

ओईसीडी के मुताबिक 26 अक्तूबर को यूरोपीय संघ के नेताओं ने जिस योजना की घोषणा की है वो अहम पहला क़दम है लेकिन इन क़दमों को तुरंत और ज़ोरदार तरीके से लागू करना होगा। अपनी रिपोर्ट में आईएलओ ने कहा है कि विश्व की अर्थव्यवस्था में सुधार धीमा है जिससे कामगारों पर बुरा असर पड़ रहा है।

संगठन के मुताबिक अगर पहले जैसे रोज़गार के अवसर पैदा करने हैं तो अगले दो वर्षों में कम से कम आठ करोड़ नौकरियों की ज़रूरत होगी। लेकिन आईएलओ का कहना है कि धीमी विकास गति का मतलब है कि इनमें से आधी नौकरियों के अवसर ही पैदा हो पाएँगे। आईएलओ के रेमंड टोर्स ने कहा है कि रोज़गार अवसरों में डबल-डिप

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