भारतीय कृषि की जीवन-रेखा मानसून केरल में एक जून के आसपास तय समय पर दस्तक दे देगा, लेकिन सामान्य से कम बारिश की आशंका ने सरकार को चिंतित कर दिया है. इसके मद्देनजर सरकार आपात योजना बनाने की तैयारी तथा किसानों के लिए फसल बीमा के लाभ का दायरा बढ़ाने पर विचार कर रही है. आपात योजना में 580 जिलों को शामिल किया जाएगा.

अल नीनो का प्रभाव भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आइएमडी) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने रविवार को बताया, 'मानसून का आगमन सामान्य दिख रहा है. इसमें दो-तीन दिन की देरी हो सकती है. फिलहाल, बारिश के आने में कोई देरी नहीं दिख रही है. यद्यपि अल नीनो के प्रभाव के चलते सामान्य से कम बारिश होने की आशंका है.' फिलहाल दक्षिण-पश्चिम मानसून का समय पर आना, खरीफ (गर्मी) की फसल, जैसे धान की बुआई के लिए महत्वपूर्ण है. हालांकि बारिश की कमी चावल की पैदावार को प्रभावित कर सकती है. पिछले वर्ष भी बारिश कम हुई थी. पिछले वर्ष भी देश में 12 फीसद कम बारिश दर्ज की गयी थी और इसके कारण अनाज, कपास और तिलहन के उत्पादन में कमी आई थी.

साल 2014 में खराब मानसून और इस वर्ष मार्च-अप्रैल में बेमौसम बरसात के चलते किसान पहले से ही संकट में हैं. इस बीच, कृषि मंत्रालय संभावित कमजोर मानसून के चलते खरीफ उत्पादन, विशेषकर धान उत्पादन और खाद्य मुद्रास्फीति पर पड़ने वाले असर को कम करने की दिशा में काम कर रहा है. कृषि सचिव सिराज हुसैन ने बताया, राज्य सरकारों को 580 जिलों में आपात योजना लागू करने के लिए पूरी तरह मुस्तैद रहने को कहा गया है. कुछ जिलों में, स्थानीय जरूरतों के हिसाब से हम आपात मानकों में सुधार कर रहे हैं. किसानों के बीच फसल बीमा योजना को लोकप्रिय बनाने के लिए बड़ी पहल की जा रही है.  भारतीय मौसम विभाग, मानसून के आगमन की संभावित तिथि और इसकी प्रगति की घोषणा 15 मई को करने वाला है.

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