- अनइवेन चेंजेज की वजह से वेदर एक्सप‌र्ट्स भी परेशान

- प्रिडिक्शन में कुछ और तो वहीं हकीकत में कुछ और रह रहा है मौसम का मिजाज

- काफी तेजी के साथ चेंज हो रहा है मौसम का मिजाज

GORAKHPUR :

केस - क्

ख्7 अप्रैल को मौसम विभाग ने मौसम चेंज होने के लिए कोई चेतावनी जारी नहीं की, लेकिन ख्7 की मार्निग से ही मौसम काफी खराब हो गया। इस दौरान काले बादलों के साथ घनघोर बारिश हुई।

केस - ख्

ख्8 अप्रैल मौसम विभाग और आईएमडी की वेबसाइट पर बदली के साथ बारिश की संभावना जताई गई, लेकिन हुआ ठीक इसके उलट। बदली तो दूर दिन भर कड़ी धूप निकली रही और गोरखपुराइट्स परेशान रहे।

केस - फ्

ख्9 अप्रैल को फिर से बदली और बारिश की संभावना जताई गई और इसको देखते हुए जिला प्रशासन को स्कूल तक बंद करने पड़े। यह बाकायदा आईएमडी की वेबसाइट पर भी शो कर रहा था, लेकिन ख्9 को भी न तो बादल छाए और न ही बारिश हुई।

मौसम की बेरहमी का सिलसिला पूरे अप्रैल मंथ जारी रहा। कभी तेज धूप ने परेशान किया, तो कभी बारिश ने घरों में कैद कर दिया। मौसम की इस उठापटक में मौसम विभाग ने काफी साथ निभाया और मौसम की सटीक प्रिडिक्शन कर गोरखपुराइट्स को ज्यादा परेशान होने से बचा लिया। मगर इन दिनों मौसम को लेकर की जा रही प्रिडिक्शन लगातार धोखा दे रही है, जिसने लोगों की परेशानी बढ़ा दी है। मौसम एक्सप‌र्ट्स भी मौसम में काफी तेजी से हो रहे उतार-चढ़ाव को लेकर काफी टेंशन में हैं।

बड़े मामलों में सटीक प्रिडिक्शन

जिस तरह से मौसम विभाग की पिछली कुछ परफॉर्मेंस रही है, उससे लोगों की उम्मीदें काफी बढ़ गई हैं। पिछले दिनों आए हुदहुद और निलोफर जैसी बड़ी आफतों के बारे में उन्होंने पहले ही आगाह कर दिया था, जिससे कि न सिर्फ जानमाल का नुकसान कम हुआ था, बल्कि इन तूफानों के आने से पहले ही इसके राहत और बचाव की तैयारियां भी पूरी कर ली गईं थीं। इतना ही नहीं भूकंप आने से पहले तक उन्होंने मौसम को लेकर काफी सटीक इंफॉर्मेशन दी हैं, मगर भूकंप के बाद हुई यह चूक लोगों को परेशान कर रही है।

क्या कहते हैं एक्सप‌र्ट्स -

अनप्रिडिक्टेबल है मौसम

मौसम में लगातार हो रहे अनइवेन चेंजेंज के बारे में जियोलॉजिस्ट प्रो। केएन सिंह की मानें तो मौसम अनप्रिडिक्टेबल है। मौसम का मिजाज समझना काफी आसान नहीं है। एक्सप‌र्ट्स वायुदाब, हवा की दिशा और आकाश की दशा को देखकर सिर्फ भविष्यवाणी करते हैं, जो कई बार सटीक बैठती हैं, वहीं कई बार हवाओं के रुख बदलने और दाब बढ़ने या घटने से यह चेंज भी हो सकती हैं। वर्तमान कंडीशन में यह मौसम विभाग की बड़ी चूक है, जिसके लिए उन्हें सोचने के साथ ही इस पर वर्क करने की जरूरत है। वहीं कुछ लोग इसे भूकंप से जोड़कर देख रहे हैं। यह बिल्कुल गलत है। मौसम एटमॉस्फियरिक कंडीशन पर डिपेंड होता है, जबकि भूकंप जमीन के अंदर प्लेट्स के क्लैश होने की वजह से आते हैं। दोनों में कहीं से कोई संबंध नहीं है।

रेग्युलर मॉनीटरिंग से बनेगी बात

आईएमडी के डायरेक्टर जेपी गुप्ता की मानें तो मौसम का मिजाज जो इस वक्त हो यह कतई जरूरी नहीं कि कुछ घंटे के बाद वैसा ही रहेगा। मौसम में हर घंटे चेंजेज पॉसिबल है। यही वजह है कि मौसम में नाऊकास्ट और फोरकास्ट की जाती है। नाऊ कास्ट फ् या म् घंटे की होती है, इसके ही आधार पर आगे की फोरकास्ट तय की जाती है। अगर इस बीच नाऊकास्ट एटमॉस्फियर में चेंज की वजह से कोई अपडेट होता है, तो उसी के अकॉर्डिग फोरकास्ट भी चेंज हो सकती है। इसलिए जरूरी है कि अगर मौसम के बारे में सटीक इंफॉर्मेशन जाननी हो, तो इसकी रेग्युलर मॉनीटरिंग करनी पड़ेगी।

मौसम में हर वक्त चेंज होता रहता है, इसलिए नाऊकास्ट और फोरकास्ट में भी चेंज पॉसिबल है। इसलिए सटीक इंफॉर्मेशन के लिए रेग्युलर अपडेट पर नजर रखनी पड़ेगी।

जेपी गुप्ता, डायरेक्टर, आईएमडी

भूकंप आंतरिक चट्टानों के टकराने से आते हैं, जबकि मौसम वायुमंडल से संबंधित है। दोनों का आपस में कोई लेनादेना नहीं है।

प्रो। केएन सिंह, जियोलॉजिस्ट, डीडीयूजीयू