मार्किंग पर परीक्षा परिणाम से छात्रों की वास्तविक तैयारियां उजागर

11वीं में सब्जेक्ट सलेक्शन में मदद करेगा बोर्ड का रिजल्ट

ALLAHABAD: सीबीएसई ने 2009 के बाद से अभी तक ग्रेडिंग सिस्टम को लागू किया था। जिसका नतीजा यह होता था कि स्टूडेंट्स को मार्किंग के स्थान पर सीजीपीए देने की व्यवस्था थी। इस प्रक्रिया से स्टूडेंट्स की तैयारी को लेकर वास्तविकता स्कूल के साथ ही पैरेंट्स को भी नहीं समझ आती थी। नतीजा यह होता था कि 11वीं क्लास में सब्जेक्ट के सलेक्शन के दौरान स्टूडेंट्स भी मनमाने ढंग से सब्जेक्ट का चयन करते थे जो 12वीं की बोर्ड परीक्षा में मुश्किलें खड़ी करते थे। इस बार सीजीपीए प्रक्रिया खत्म करके सब्जेक्ट वाइज मार्किंग होने से स्टूडेंट्स की वास्तविक तैयारियों का पता चला। एक्सप‌र्ट्स इस प्रक्रिया को ही छात्रों के कॅरियर के लिहाज से बेहतर मानते हैं।

अब सीरियसली करनी होगी पढ़ाई

महर्षि पतंजलि विद्या मंदिर की प्रिंसिपल सुष्मिता कानूनगो के अनुसार ग्रेडिंग सिस्टम ने छात्रों के मन से असफल होने का डर निकाल दिया था। इससे वह पढ़ाई को लेकर उतने सीरियस नहीं होते थे जितना टीचर पेन लेता था। इससे उनके अंदर प्रतियोगिता की भावना काफी हद तक खत्म हो गई थी। 12वीं के रिजल्ट में इसका असर दिखता था। 12वीं के बोर्ड परीक्षा को लेकर स्टूडेंट्स में काफी डर दिखता था क्योंकि वह पहली बार बोर्ड परीक्षा से रूबरू होने वाले थे।

11 में महसूस करते थे प्रेशर

गंगागुरुकुलम की प्रिंसिपल अल्पना डे का कहना है कि ग्रेडिंग सिस्टम के चलते नौ सालों तक छात्र रिलैक्स रहे। 11वीं में पहुंचते ही उन पर प्रेशर बिल्डअप होता था तो वह परेशान हो उठते थे। इस बार से शुरू हुए मार्किंग सिस्टम से बच्चों पर 11वीं में पहुंचने पर काफी हद तक प्रेशर कम होगा। 12वीं के परीक्षा में भी वह बेहतर रिजल्ट दे सकेंगे। 11वीं में सब्जेक्ट एलाटमेंट को लेकर भी काफी दिक्कत होती थी। इस व्यवस्था के शुरू होने के बाद यह समस्या भी खत्म हो जाएगी।

अगले साल और साफ होगी स्थिति

डीपी पब्लिक स्कूल की प्रिंसिपल जया सिंह का कहना है कि सीजीपीए सिस्टम खत्म होने के बाद रिजल्ट पर पड़ने वाले असर की सही जानकारी नेक्स्ट इयर रिजल्ट के आने के बाद हो सकेगी। आठ साल के अंतर के बाद ऐसा रिजल्ट आया है तो स्थित साफ तौर पर बहुत ज्यादा स्पष्ट नहीं हो सकेगी।