फुलैरा दूज को कुछ जगहों पर फुलरिया दूज भी कहा जाता है। यह दूज फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष में मनाई जाती है। इसे अबूझ मुहूर्त भी कहा जाता है क्योंकि इस दिन हम किसी भी समय कोई भी शुभ कार्य कर सकते हैं। इसलिए फुलैरा दूज पर अधिक शादियां होती हैं। फुलैरा दूज से ही होली का प्रारंभ माना जाता है।

आपको बता दें कि ठंड के मौसम में शादियों के लिए यह एक तरह से आखिरी दिन होती है, इसलिए इस दिन ज्यादा शादियां होती हैं। इस दिन के बाद 15 मार्च से 14 अप्रैल तक खरमास प्रारंभ हो जाएगा, ऐसे में शादी—विवाह जैसे सभी मांगलकि कार्य वर्जित हो जाते हैं।

इस वर्ष फुलैरा दूज 8 मार्च को पड़ रहा है। इस दिन अतिशुभ मुहूर्त दिन में 11:48 बजे से लेकर 12:24 बजे तक रहेगा। इस दिन आप इस मुहूर्त में अपने मांगलिक कार्य संपन्न कर सकते हैं।

इस दिन भगवान कृष्ण और राधा जी की पूजा करने का विधान है। गांवों में बच्चे अनेक प्रकार के फूल और रंगों से अपने घर के बाहर और अंदर रंगोली बनाते हैं।

विशेष रूप से मथुरा और वृंदावन में इस पर्व को खासतौर पर मनाया जाता है। फूलों का त्योहार होने के कारण ही इसे फुलैरा दूज कहते हैं।

इस दिन राधा—कृष्ण के मंदिरों को फूलों और गुलाल से सजाया जाता है। राधा—कृष्ण को अबीर, रंग और अनेक तरह के फूल अर्पित किए जाते हैं। 

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