जूनियर हाईस्कूल के हमारा पर्यावरण पाठ्यपुस्तक के गलत तथ्यों में होगा सुधार

निदेशक राज्य विज्ञान शिक्षा संस्थान ने प्राचार्य राज्य शिक्षा संस्थान को भेजा पत्र

ALLAHABAD: सूबे के बेसिक शिक्षा परिषद की उच्च प्राथमिक स्तर की क्लास 6 से लेकर 8वीं तक हमारा पर्यावरण पाठ्यपुस्तक में कई प्रकार की तथ्यात्मक गलतियां पकड़ में आयी थीं। इसे लेकर विषय विशेषज्ञों ने हाईस्कूल व इंटरमीडिएट में चल रही किताबों का हवाला देते हुए गलतियों के बारे में विभाग को सूचना दी। गलतियां पकड़े जाने के बाद आखिरकार उनमें संशोधन की कवायद विभाग ने शुरू की है। निदेशक राज्य विज्ञान शिक्षा संस्थान डॉ। सुत्ता सिंह ने प्राचार्य राज्य शिक्षा संस्थान को पत्र भेजकर गलतियों में सुधार के लिए आवश्यक कदम उठाने को कहा है।

आहार श्रृंखला में है गड़बड़ी

हमारा पर्यावरण विषय की पाठ्यपुस्तक को जूनियर हाईस्कूल में समायोजित किया गया है। इसमें प्रकृति एवं जीव जंतु पारस्परिक निर्भरता के आहार श्रृंखला में शामिल अंश में सर्वोच्च श्रेणी का उपभोक्ता बैक्टीरिया को दर्शाया गया है। जबकि विशेषज्ञों की राय के अनुसार सर्वोच्च श्रेणी का उपभोक्ता मांसाहारी है। निदेशक राज्य विज्ञान शिक्षा संस्थान की तरफ से भेजे गए पत्र में भी इन बातों का जिक्र है। पत्र में कहा गया है कि यूपी बोर्ड की हाईस्कूल एवं इंटरमीडिएट की किताबों में भी सर्वोच्च उपभोक्ता मांसाहारी है। ऐसे में परिषद की इस किताब की आहार श्रृंखला में सर्वोच्च उपभोक्ता बैक्टीरिया दर्शाया जाना गलत प्रतीत होता है।

हाई कोर्ट में प्रस्तुत किया गया

इसके साथ ही शिक्षक पात्रता परीक्षा 2017 यानी टीईटी के प्रश्नों की समीक्षा के समय भी इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ में शिक्षा विभाग को अप्रिय परिस्थितियों का सामना तब करना पड़ा। जब याची द्वारा साक्ष्य के रूप में इसी पुस्तक के तथ्य को प्रदर्शित किया गया। ऐसे में गलत तथ्यों का निवारण शीघ्र किया जाए।