अपनी रोमांटिक इमेज से अलग हटकर, इमरान ने इस फिल्म में एक ऐसा ठेठ किरदार निभाया है जिसे देखकर उनकी किसी दूसरी फिल्म की याद शायद नहीं आएगी.

फिल्म में जोगी का किरदार, विडियो शूटिंग का काम करता है जो आगे चलकर फिल्म की अहम कड़ी बनकर सामने आता है. बीबीसी से एक खास बातचीत में इमरान ने कहा कि काश उन्हें शांघाई जैसी फिल्म पहले मिली होती. इमरान, जोगी को अपने करियर में अब तक का सबसे अहम रोल मानते हैं.

इमरान ने उम्मीद जताई कि 'वन्स अपॉन ए टाइम इन मुंबई' की तरह ये फिल्म भी उनके करियर में बदलाव लेकर आए. इमरान ने बताया कि वो फिल्म के निर्देशक दिबाकर बनर्जी के साथ हमेशा से काम करना चाहते थे और वो खुश हैं कि वो एक ऐसी फिल्म का हिस्सा है जो देश के वर्तमान हालातों को बयां कर रही हैं.

इमरान ने बताया कि उन्होंने पहली बार किसी रोल के लिए थिएटर वर्कशॉप्स में भाग लिया. तीस साल से ऊपर का जोगी परमार दिखने के लिए इमरान ने करीब 10 किलो वजन बढ़ाया ताकि उनके गाल जरा भरे हुए और तोंद थोड़ी बाहर निकली हुई दिखे.

इमरान ने बताया किस तरह इस बदले रुप में वो कई बार शूटिंग स्थल तक पैदल ही चले जाते थे और लोग उन्हें पहचान भी नहीं पाते थे.

शांघाई में इमरान के सहकलाकार अभय देओल और कलकी कोचलिन हैं. कलकी एक विद्यार्थी बनी है और अभय एक आईएएस अफसर.

फिल्म की शूटिंग के दौरान अभय के साथ मनमुटाव की बात को झुठलाते हुए इमरान ने कहा कि अभय खुद पर भरोसा रखने वाले एक बहुत अच्छे अभिनेता हैं और उनके साथ कुछ दृश्य करते हुए उन्हें वाकई में मज़ा आया.

अपने करियर की शुरुआत में मर्डर जैसी बोल्ड फिल्म करने वाले इमरान मानते हैं कि उनके आने के बाद बॉलीवुड में बोल्ड विषयों पर आधारित फिल्मों की संख्या बढ़ी है जिससे एक विशिष्ट दर्शक वर्ग को आपत्ति भी हुई है.

इमरान का ये भी मानना है कि कमर्शियल हो या ऑफबीट हर फिल्म उनके भीतर के कलाकार को परिभाषित करती है और उनकी फिल्मों की सही पारखी जनता है.

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