331 एडेड डिग्री कॉलेज प्रदेश में

41 एडेड कॉलेज राजधानी में

27 नियमित प्रिंसिपल इन कॉलेजों में

15 साल से नहीं हुई नियुक्ति

- राजधानी के एडेड डिग्री कॉलेजों में केवल एक ही नियमित प्रिंसिपल बचेंगे

- प्रदेश भर के डिग्री कॉलेजों में कार्यवाहक प्रिंसिपल ही संभालेंगे जिम्मा

shyamchandra.singh@inext.co.in
LUCKNOW : प्रदेश सरकार ने उच्च शिक्षा की गुणवत्ता को सुधारने के लिए नैक मूल्यांकन से लेकर रिसर्च तक को बढ़ावा देने का निर्देश जारी किया है। वहीं दूसरी ओर प्रदेश के एडेड कॉलेजों में शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने की जिम्मेदारी वहां के कार्यवाहक प्रिंसिपलों की है। इन अधिकतर कॉलेजों में प्रिंसिपल के खाली पदों को भरने की प्रक्रिया 15 साल से ठप है, जिसका असर कॉलेजों की गुणवत्तापूर्ण शिक्षा पर पड़ रहा है।

केवल 27 नियमित प्रिंसिपल
प्रदेश में इस समय 331 एडेड कॉलेज हैं, जिन्हें सरकार की ओर से अनुदान मिल रहा है। इन सभी डिग्री कॉलेजों में केवल 27 में ही नियमित प्रिंसिपल मौजूद हैं। बाकी कॉलेजों के संचालन की जिम्मेदारी कार्यवाहक प्रिंसिपल के कंधों पर है।

एक डिजिट में रहेगी संख्या
एलयू डिग्री कॉलेज शिक्षक संघ के पूर्व अध्यक्ष डॉ। मौलेंदु मिश्रा बताते हैं कि इन 27 नियमित प्रिंसिपल में से 19 के करीब साल 2020 तक रिटायर हो जाएंगे। इसके बाद प्रदेश में एडेड डिग्री कॉलेजों में सिर्फ 8 नियमित प्रिंसिपल बचेंगे।

राजधानी में होगा सिर्फ एक
एलयू वीसी प्रो। एसपी सिंह का कहना है कि हम से संबद्ध एडेड डिग्री कॉलेजों में इस समय सिर्फ दो नियमित प्रिंसिपल हैं। इनमें से एक केकेसी के डॉ। एसडी शर्मा और दूसरे विद्यांत पीजी कॉलेज की डॉ। धर्मकौर हैं। डॉ। शर्मा जून 2020 में रिटायर हो जाएंगे। फिर राजधानी के एडेड कॉलेजों में सिर्फ एक नियमित प्रिंसिपल बचेगा।

15 साल से भर्ती नहीं
कमीशन के माध्यम से अंतिम बार केकेसी डिग्री कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ। एसडी शर्मा नियुक्त किए गए थे। उनकी नियुक्ति 3 दिसंबर 2003 को की गई थी। उसके बाद प्रदेश में कमीशन के माध्यम से किसी प्रिंसिपल की नियुक्ति नहीं की गई है। हालांकि बीच में एपी सेन ग‌र्ल्स डिग्री कॉलेज में भी प्रिंसिपल की नियुक्ति की गई लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने उनकी नियुक्ति को रद कर दिया था। तब से कमीशन से प्रिंसिपल पद पर कोई भर्ती नहीं हुई है।

कॉलेज के गुणवत्ता पर पड़ा है असर
एलयू वीसी प्रो। एसपी सिंह बताते हैं कि नियमित प्रिंसिपल न होने से कॉलेज के गुणवत्ता और क्वालिटी एजुकेशन पर असर पड़ता है। कार्यवाहक प्रिंसिपल कॉलेज के नियमित कार्यो में ही अपना पूरा समय लगाते हैं। एक ओर प्रदेश सरकार सभी उच्च शिक्षण संस्थाओं को नैक मूल्यांकन कराने के लिए कह रही है। वहीं दूसरी ओर कार्यवाहक पि्रंसिपल नैक मूल्यांकन जैसे असेसमेंट से बचते रहते हैं। इसी का परिणाम है राजधानी मौजूदा समय में 41 एडेड कॉलेजों में केवल पांच के पास नैक ग्रेडिंग या तो है या फिर पूरी होने वाली हैं।