तीन साल से प्रतिबंधित है दुर्गा पूजा का आयोजन
वेस्ट बंगाल राज्य के एक कोने में दुर्गा पूजा आयोजन की इजाजत नहीं। स्थानीय प्रशासन ने सांप्रदायिक तनाव की आशंका के मद्देनजर इस पर प्रतिबंध लगा रखा है। कोलकाता से तकरीबन 350 किमी दूर वीरभूम के कांग्लापहाड़ी गांव के लोग पिछले तीन साल से दुर्गा पूजा का आयोजन नहीं कर पा रहे हैं। इस गांव में तकरीबन 300 हिंदू परिवार हैं। पहली बार 2012 में गांव में दुर्गा पूजा के आयोजन की योजना बनी। इस पर गांव के अल्पसंख्यक समाज के कुछ परिवारों ने एतराज जताया और प्रशासन पर दबाव बनाया। दबाव के बावजूद प्रशासन की ओर से लिखित तो नहीं, पर मौखिक रूप से पूजा आयोजन की अनुमति मिली।

दुर्गा पूजा के जवाब में गोकशी की इजाजत मांगी गयी
ग्रामीण पूजा की तैयारी में जुटे तो अल्पसंख्यकों के एक समूह ने प्रशासन के सामने गोकशी की इजाजत देने की मांग कर डाली। जब प्रशासन ने इससे इन्कार किया तो उन्होंने शर्त रख दी कि ऐसी स्थिति में हिंदुओं को भी दुर्गा पूजा की अनुमति न मिले। दोनों समुदायों में टकराव की आशंका को देखते हुए प्रशासन ने दुर्गा पूजा आयोजन पर भी प्रतिबंध लगा दिया। प्रशासन का कहना था कि इससे गांव में सांप्रदायिक तनाव फैलने का खतरा है।

सोशल मीडिया पर हो रहा है विरोध
अब सोशल मीडिया पर इस मामले को लेकर बहस गर्म है। हैशटैग दुर्गा पूजा बैन के साथ यह ट्विटर पर ट्रेंड कर रहा है। लोग सवाल उठा रहे हैं कि 2012 में राज्य में ममता सरकार के गठन के साथ ही ऐसा क्यों शुरू हुआ? क्या राज्य सरकार वोट बैंक की राजनीति कर रही है? दादरी कांड व गोमांस विवाद पर खुल कर बोलने वाले वामपंथी भी निशाने पर हैं। उनसे पूछा गया कि वे इन मुद्दों पर मोदी सरकार को तो लताड़ते हैं पर ममता सरकार के खिलाफ क्यों चुप है?

 

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