NEW DELHI/ DEHRADUN: देहरादून में हुए एमबीए छात्र रणबीर सिंह के फर्जी एनकाउंटर मामले में दिल्ली हाई कोर्ट ने 18 दोषी पुलिसकर्मियों की अपील पर अपना फैसला सुनाया है। जस्टिस एस मुरलीधर और जस्टिस आईएस मेहता की अध्यक्षता वाली पीठ ने सबूतों के अभाव में 11 पुलिसकर्मियों को बरी करने का आदेश दिया है, जबकि सात पुलिसकर्मियों को निचली अदालत से मिली सजा को बरकरार रखने का आदेश दिया गया है।

 

तीस हजारी से मिली थी सजा

2014 में तीस हजारी कोर्ट ने 17 पुलिसकर्मियों को हत्या, अपहरण, सबूत मिटाने और आपराधिक साजिश रचने और गलत सरकारी रिकॉर्ड तैयार करने के आरोप में दोषी करार देते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई थी। इसके अलावा कोर्ट ने 18वें पुलिसकर्मी को आरोपियों को बचाने के लिए दस्तावेजों से छेड़छाड़ के आरोप में दो साल की सजा सुनाई थी। तीस हजारी कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ 18 पुलिसकर्मियों ने दिल्ली हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।

 

मामले पर एक नजर

गाजियाबाद का शालीमार गार्डन निवासी एमबीए छात्र रणबीर सिंह अपने दोस्त के साथ दो जुलाई, 2009 को देहरादून घूमने और नौकरी के लिए इंटरव्यू देने गया था। वहां कुछ पुलिस अधिकारियों के साथ उसकी किसी बात को लेकर कहासुनी हो गई। पुलिस ने उसे हिरासत में ले लिया था। तीन जुलाई, 2009 को उत्तराखंड पुलिस ने रणबीर को लुटेरा बताकर देहरादून के थाना रायपुर के लाडपुर जंगल में एनकाउंटर में मार गिराने का दावा किया था।

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