हम सब वेनिस के एक विशिष्ट होटल के कॉरिडोर में जमा हैं, जहां मैडोना कि फ़िल्म ‘डब्ल्यू ई’ का प्रीमियर हुआ है। काफ़ी गर्मी है, एसी काम नहीं कर रहा। ख़ैर, जब मैं मैडोना के पास उनके कमरे में होऊंगा तो वहां सब ठीक ही होगा। ग़लत। नोर्वे का पत्रकार बाहर निकला और कहा – एसी बंद कर दिया गया है क्योंकि उसकी आवाज़ की वजह से रिकॉर्डिंग में दिक्कत आ रही है.

सबने कहा – क्या फ़र्क पड़ता है, बस ये बताओ कैसा रही बातचीत। उसने कहा, “बढ़िया, कुछ लंबे जवाब और कुछ बिल्कुल छोटे भी.” मैंने सोचा ये ठीक नहीं है। सिर्फ़ छह मिनट का वक़्त? और उसपर लंबे-लंबे जवाब। इससे तो हम पूरे सवाल ही नहीं पूछ पाएंगे। और ये इंटरव्यू टीवी के लिए है। टीवी पर लंबे जवाब अच्छे नहीं लगते। लगता है रणनीति बदलनी पड़ेगी.

किसी सैनिक अभियान की तरह ठीक अठारह मिनट बाद, संतुष्ट-से हाव-भाव के साथ स्विटज़रलैंड का पत्रकार होटल के कमरे से बाहर निकला। अब मेरी बारी है। आमतौर पर मेरे साथ बीबीसी का कैमरामैन और प्रोड्यूसर होता है। लेकिन मैडोना के लोगों ने साफ़ कह दिया है कि वो ख़ुद ही रिकॉर्डिंग करेंगे.

बेडरूम में प्रवेशmadonna

मुझे एक छोटे से बेडरूम में ले जाया जाता है। दीवार के साथ छह कुर्सियां रखी हैं, जिनपर कुछ अनजान लोग बैठे हैं। सूची में से मेरा और बीबीसी का नाम पढ़ा जाता है। तभी बेडरूम के कोने से एक सिर मेरी तरफ़ घूमता है, “ ये मैडोना हैं.”, मुझे बताया जाता है। तो ये हैं मैडोना ! होटल के बेडरूम में छोटी-सी, ख़ूबसूरत और संतुलित मैडोना कुर्सी पर बैठी हैं.

उसकी गर्मजोशी के साथ कही गई ‘हाय’ का जवाब मैंने ‘हैलो’ से दिया। मैं सही में एक ऐसी हस्ती से मिलकर ख़ुश था जिसकी मैं बहुत तारीफ़ करता हूं। काली ड्रेस पहने बैठी ये महिला इस वक़्त पॉप स्टार नहीं, फ़िल्म निर्देशक है। तो फ़िल्म बनाना कितना आसान है ? जवाब आया, ‘भयानक सपने-सा’

मैडोना अभी फ़िल्म निर्देशन के हुनर को सीख ही रही हैं और उन्होंने एक जटिल पटकथा में सह-लेखिका की भूमिका भी निभाई है। फ़िल्म की रीढ़ है वेलिस सिंपसन और एडवर्ड अष्टम के बीच प्रेम। लेकिन इसके साथ-साथ एक और कहानी चलती रहती है जो आधुनिक मैनहेटन में रहनी वाली लड़की की है, जिसे वेलिस सिंपसन के प्रति असाधारण आसक्ति है। और अगर दो अलग काल खंडों और कहानियां से फ़िल्म जटिल न बनती हो तो ये पढ़िए। मैडोना ने तीन देशों की लगभग सौ जगहों पर इसकी शूटिंग की। कुछ आलोचकों के अनुसार इसी वजह से फ़िल्म ‘बिखर-सी’ गई है.

मैंने मैडोना से पूछा कि क्या उन्होंने फ़िल्म के रिव्यू पढ़े हैं? ‘ नहीं, हिम्मत नहीं हुई.’ और मुझे बुरा लगा। वे पूरी तरह से ईमानदार लग रही थीं। मैडोना ने ख़ुद को उन आलोचकों के सामने पाया था जो उनके अभिनय के बारे में भी अधिक उत्साहित नहीं रहे हैं.

‘पसीना और आंसू’

मैंने पूछा कि उन्होंने ये जोख़िम क्यों उठाया? क्योंकि एक पॉप सितारे के रूप में इतिहास में उनका स्थान सुरक्षित है। मैडोना ने कहा कि उन्हें हमेशा इस कला से लगाव रहा है और उन्हें लगता है कि वो इसमें अपना योगदान दे सकती हैं, कम से कम पुरूष प्रधान पेशे में एक औरत की आवाज़ के रूप में ही सही.

तो लोग आपकी फ़िल्म से क्या सीखेंगे? जवाब मिला ‘वेलिस सिंपसन के बारे थोड़ी और सकारात्मक सोच.’ ‘क्या?’ मैंने चौंकते हुए कहा, “और अगर वो ये कहते हुए बाहर निकलें कि वाह, मैडोना फ़िल्म बनाना जानती है। तो?” एक शर्मिली-सी मुस्कुराहट और विनम्रता के साथ मैडोना ने कहा, “ऐसा सुनना तो अदभुत होगा। ”

जब मैं होटल के बेडरूम से बाहर निकला तो मुझे लगा कि ख़बरों में इस्तेमाल करने के लिए कम से कम दो-एक अच्छे वाक्य तो मिल ही गए हैं। लेकिन जब मैंने और मेरे प्रोडयूसर ने मैडोना के लोगों द्वारा शूट किया गया इंटरव्यू देखा तो स्तब्ध रह गए.

ग़लत टेप

मुझे उन महानुभावों ने नोर्वे की महिला पत्रकार वाला इंटरव्यू थमा दिया था। हम वापिस होटल पहुंचे। वहां पहले से ही हड़कंप मचा हुआ है। ज़ाहिर है सबको इंटरव्यू का ग़लत टेप दिया गया है.

क़रीब घंटा भर पहले मैडोना के कमरे के बाहर गर्मी के बावजूद शांत बैठा पत्रकारों का समूह अब गुस्से से तिलमिला रहा था। चारों तरफ़ पसीना और आंसू बह रहे थे। कोलंबिया वाली की तो हालत ख़राब थी। वो आधी दुनिया की यात्रा कर यहां पहुंची थी। स्थिति कितनी ख़राब थी ये बयान करना आसान नहीं। मतलब ख़र्चे की ही बात नहीं थी, इस इंटरव्यू से अपेक्षाएं  भी थीं। शायद ये मैडोना की अगली फ़िल्म का मसाला हो। प्रेस इंटरव्यू-द मूवी। आलोचकों को वो शायद पसंद आए.

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