बच्चे की सांसे चल रही थीं
हाल ही राजधानी दिल्ली के फेमस हॉस्पिटल मैक्स में डॉक्टरों की लापरवाही का एक बड़ा मामला देखने को मिला हैं। यहां डॉक्टरों ने नवजात जुड़वा बच्चों के शव पालीथीन में पैक कर परिजनों को पार्सल सौंप दिया। इसके बाद दुखी परिजन दोनों शवों को अंतिम संस्कार के लिए ले जाने लगे। ऐसे में बच्चे के रास्ते में एक शव वाले पार्सल से कुछ हरकत सी महसूस हुई। पिता ने पैकिंग में पॉलीथीन और कपड़े की करीब 5 परतें खोली तो देखा कि उनका बच्चा जिंदा था। उसकी सांसे चल रही थीं। इसके बाद वह तुरंत उसे ले जाकर पीतमपुरा के एक नर्सिंग होम में गए। यहां डॉक्टरों ने बच्चे की स्थिति ठीक बताई है। इस मामले को लेकर परिजन काफी भड़के हैं। अस्पताल की लापरवाही का मामला पुलिस तक पहुंच गया है। पुलिस ने आईपीसी की धारा 308 के तहत केस दर्ज किया है। इसमें मृत घोषित करने वाले डॉक्टरों को सात साल की सजा हो सकती है। इस मामले में दिल्ली सीएम केजरीवाल ने भी परिजनों को न्याय की उम्मीद दिलाई है। दिल्ली मेडिकल काउंसिल इस केस की काफी तेजी से जांच कर रही है।
अंतिम संस्कार के पहले हुई हलचल
डॉक्टरों की लापवरवाही का यह कोई पहला मामला नहीं है। इसके पहले दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में भी डॉक्टरों ने एक ऐसा ही कारनामा किया था। बीते जून में नवजात बच्चे को उसके जन्म के कुछ घंटे बाद ही मृत घोषित कर दिया था। इसके बाद उसके शव को पॉलीथीन में पैक कर सील कर परिजनों को सौंप दिया था। उसके अंतिम संस्कार की तैयारी चल रही थी। ऐसे में घर पर परिजनों को लगा कि पैकेट में कुछ हलचल सी हो रही है। इसके बाद जब उन्होंने पॉलीथीन को खोला तो वह बच्चा उस समय जिंदा था। ऐसे में परिजनों ने पुलिस को सूचना देते हुए बच्चे को तुंरत पास के अस्पताल ले गए थे।
श्मशाम की जगह शव यहां जाएं
डेड घोषित करने वाले मामलों में डॉक्टरों की बढ़ती लापरवाही को देखते हुए अब विश्वास करना मुश्किल होता जा रहा है। इन मामलों में पीड़ित परिजनों का कहना है कि अब तो किसी एक हॉस्पिटल द्वारा कंफर्म डेड पर यकीन करने के लिए भी कम से कम दो तीन हॉस्पिटल शव लेकर जाना होगा। इसके बाद उन हॉस्पिटल्स में जांच के बाद जब स्पष्ट हो जाए कि हां डॉक्टर ने सही कहा है तब आगे शव के अंतिम संस्कार करने की प्रक्रिया शुरू करनी चाहिए।
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