दूसरे मरीजों ने किया विरोध

जानकारी के मुताबिक मूल रूप से बागपत की रहने वाली पीड़िता व उसका पति दोनों ही एचआईवी पॉजिटिव हैं। ऐसे में महिला मेरठ के मेडिकल कॉलेज में 19 जून को डिलीवरी के लिए भर्ती हुई थी। इस दौरान उसे 20 जून को बेटी हुई। ऐसे में डिलीवरी होने के बाद मेडिकल स्टाफ ने उससे यह कहकर वार्ड की सफाई कराई की उसे एचआईवी है। जिससे उसकी गंदगी को कोई सफाई कर्मी साफ करने को तैयार नही हैं। इसके बाद डॉक्टरों ने उसे गायनिक वार्ड में भर्ती करा दिया और उसके बेड पर एचआईवी पीड़ित लिखा बोर्ड टांग दिया। यह देखकर वार्ड में मौजूद दूसरे मरीजों ने विरोध करना शुरू कर दिया और पीड़िता को बाहर निकालने की मांग करने लगे।

नए मरीजों के बीच भर्ती कराया

ऐसे में जब मामला और ज्यादा बढ़ने लगा तो पीड़ित महिला और उसके परिजनों ने अस्पताल प्रशासन से इसकी शिकायत की, लेकिन वहां भी कोई सुनवाई नहीं हुई। जिसके बाद परेशान पीड़िता के भाई ने इसकी शिकायत ग्लोबल फंड प्रोग्राम नाको एवं राज्य एड्स नियंत्रण सोसायटी में की। जिसके बाद ग्लोबल फंड प्रोग्राम नाको एवं राज्य एड्स नियंत्रण सोसायटी के लोगों ने पहुंचकर विरोध जताया। अस्पताल में विरोध प्रदर्शन के बाद कल अस्पताल प्रशासन ने उस महिला के बेड से पोस्टर हटाया और उसे दूसरे वार्ड में नए मरीजों के बीच भर्ती कराया। वहीं मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर सुभाष सिंह का कहना है कि यह आरोप निराधार है।

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