भारत से 4 गुना ताकतवर

हाल ही में चीन की एक युआन श्रेणी की एक पनडुब्बी हिंदमहासागर और अरब सागर से पाक के कराची बंदरगाह होते हुए वापस चीन चली गई। इस घटना के बाद से चीन की यह पनडुब्बी काफी चर्चा में आ गई है, क्योंकि यह पनडुब्बी पनडुब्बी डीजल और बिजली से कई सप्ताह पानी के अंदर आसानी से रह सकती है। जब कि भारत की पनड़ब्बी को ऑक्सीजन के लिए कुछ ही दिनों में बाहर आना पड़ता है। जिससे साफ है कि पनडुब्बी की क्षमता में भारत चीन से काफी पीछे है। चीन के पास पनडुब्बी का जखीरा है। इतना ही नहीं समुद्री युद्ध में भी चीन भारत से 4 गुना ताकतवर है। जिससे चीन अब अपनी युआन श्रेणी की आठ पनडुब्बी पाकिस्तान को बेचने की फिराक में है। वहीं चीन की एक पारंपरिक पनडुब्बी 2014 में दो बार कोलंबो पहुंची थी। हालांकि इस दौरान यह साफ हो गया था कि उससे भारत को कोई नुकसान नहीं होगा। वहीं इसके साथ ही चीन ने 2014 में 60 से अधिक नौसैनिक जहाजों और विमानों को तैनात किया। जिससे उम्मीद की जा रही होगी इस साल भी इतनी ही संख्या में तैनाती हुई होगी। चीन की नौसेना के पास वर्तमान में कुल 300 जलयान हैं। जिनमें जहाज, पनडुब्बियां, एंफीबियस शिप, प्रक्षेपास्त्र से लैस निगरानी वमान हैं।  इसके साथ ही 59 पारंपरिक पनडुब्बियां और नौ परमाणु शक्तिचालित पनडुब्बियां हैं।

खुद को सक्षम दिखाना चाहता

ऐसे में अब भारत रूस से दूसरी पनडुब्बी किराए पर लेने की तैयारी में है। सूत्रों की माने तो इसके लिए सरकार ने विशाखापत्तनम में परमाणु हमला करने में सक्षम छह पनडुब्बी के निर्माण की 90 हजार करोड़ रुपये की एक योजना को हरी झंडी दे दी है। इसके पीछे माना जा रहा है कि अब भारत चीन के आगे पनडुब्बी मामले में पूरी तरीके से खुद को सक्षम दिखाना चाहता है। इतना ही नहीं चीन के सामने बराबर दिखने के लिए भारत से पारंपरिक और परमाणु क्षमता वाली पनडुब्बी बनाने की तैयारी में है। इसके लिए वह जर्मनी, फ्रांस और रूस के सहयोग लेगा,क्योंकि वतमान में भारतीय नौसेना के पास 141 जलयान हैं, जिसमें से 127 जहाज और 14 पनडुब्बियां हैं। भारत के पास 14 पनडुब्बी हैं, जिसमें से एक आईएनएस चक्र परमाणु हमला करने में सक्षम है। आईएनएस चक्र भारत ने रूस से 10 साल के लिए किराए पर लिया है। हालांकि आने वाले समय में भारत 15 पनडुब्बियों की तैनाती करना चाहता है। शायद इसी लिए रक्षा मंत्रालय ने 14 जुलाई 2015 को एक प्रस्ताव को मंजूरी दी है, जिसके तहत अमेरिका से चार और पी-81 लॉन्ग रेंज एंटी सबमैराइन वॉरफेयर (एएसडब्ल्यू) मैरीटाइम पेट्रोल एयरक्राफ्ट खरीदा जाएगा।

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