- बरेली हादसे के बाद भी नहीं चेता परिवहन विभाग

- वर्कशॉप में बसों का मेंटीनेंस भगवान भरोसे

- चेक होता है सिर्फ हवा-पानी

LUCKNOW:

रोडवेज की बसें भगवान भरोसे सड़कों पर दौड़ रही हैं। मेंटीनेंस के अभाव में यह बसें कभी भी दुर्घटनाग्रस्त हो सकती हैं। बरेली में हुई बस दुर्घटना के बाद भी परिवहन निगम के अधिकारी नहीं चेत रहे हैं। बेहतर यात्री सुविधा का दावा करने वाले परिवहन निगम के अधिकारी यात्रियों को सुरक्षित सफर कराने में सक्षम नहीं हैं। यह हाल तब है जब परिवहन मंत्री स्वतंत्रदेव सिंह ने बसों की चेकिंग कराई तो पांच हजार से अधिक बसें अनफिट पाई गई।

सभी जिलों में वर्कशॉप

बसों की देखभाल के लिए परिवहन निगम ने सभी जिलों में वर्कशॉप बनाई हैं। प्रदेश में लगभग 125 कार्यशालाएं मौजूद हैं। इन कार्यशालाओं में बसों की देखरेख के लिए आउटसोर्सिग पर कर्मचारी रखे जा रहे हैं। भले ही उन्हें बसों की मैकेनिज्म की जानकारी हो या ना हो। मैकेनिक न होने से ऐसे कर्मचारियों से ही बसों की मेंटीनेंस कराई जा रही है।

तस्वीर कुछ दूसरी है

परिवहन निगम के नियमों के अनुसार एक बस की मरम्मत और देखरेख के लिए औसतन 1.46 व्यक्ति की तैनाती की जानी चाहिए। लेकिन वर्कशॉप में मामला ठीक इसके उलट है। इसका नजारा देखने के लिए प्रदेश के किसी अन्य हिस्से में जाने की जरूरत नहीं है। परिवहन निगम के मुख्यालय के पास ही दो वर्कशॉप हैं। कैसरबाग डिपो और अवध डिपो की वर्कशॉप में बसों का मेंटीनेंस किया जाता है। लेकिन अवध डिपो में रोजाना सौ से अधिक बसों की मेंटीनेंस होता है जबकि यहां पर फोरमैन से लेकर नीचे तक कुल 65 लोगों का स्टाफ श्ामिल है।

45 मिनट में तैयार होती एक बस

ऐसे में यह लोग एक बस को मात्र 45 मिनट में तैयार कर छोड़ देते हैं। कुछ ऐसा ही हाल कैसरबाग डिपो की कार्यशाला का है। यहां पर रोजाना 135 बसों की मेंटीनेंस की जानी होती है। यहां भी स्टॉफ 65 लोगों के आस-पास ही है। दोनों ही जगह इस स्टॉफ में बसों की सीट बनाने से लेकर पेंटर करने वाले भी शामिल हैं।

स्टॉफ की कमी का रोना

वर्कशॉप के लोगों ने बताया कि स्टॉफ की कमी के चलते बसों का मेंटीनेंस भगवान भरोसे ही किया जा रहा है। बाकी बसों को छोडि़ए अब तक उन बसों का ही मेंटीनेंस नहीं हो सका है जो बरेली में हुई दुर्घटना के बाद चिन्हित की गई थीं.

कोट

हमारे यहां तकनीकी स्टॉफ 20 साल पहले सेवानिवृत्त हो चुका है। उसके बाद दोबारा भर्ती नहीं की गई। आउटसोर्सिग से मेंटीनेंस कराया जा रहा है।

जयदीप वर्मा

सीजीएम, टेक्निकल, परिवहन निगम

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प्रदेश में वर्कशॉप

डिपो वर्कशॉप- 105

रीजनल लेवल की वर्कशाप- 20

केंद्रीय वर्कशॉप- 2

कानपुर में मौजूद दो कार्यशालाओं में बसों की बॉडी का निर्माण भी किया जाता है।

नियम- मेंटीनेंस के लिए एक बस पर 1.45 व्यक्ति की तैनाती

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रख रखाव के लिए हाे ट्रेनिंग

परिवहन निगम के बेड़े में जनरथ बसें शामिल हैं जो आधुनिक तकनीक से लैस हैं। इन बसों में साधारण बसों को चलाने वाले चालक ही नियुक्त हैं। जबकि वॉल्वो और स्कैनिया की तरह ही इन बसों के चालकों को भी 15 दिन की ट्रेनिंग दी जानी चाहिए। इससे बसों का संचालन बेहतर हो सकेगा। कार्यशालाओं में इन बसों की मेंटीनेंस नहीं हो पा रहा है। इनकी तकनीक को समझने में कर्मचारी फेल हो रहे हैं। कर्मचारियों की डिमांड है कि इन बसों के बेहतर रखरखाव के लिए कम से कम फोर मैन की ट्रेनिंग करवाई जाए।