क्राइम ब्रांच की जांच में पूर्व डीएम, एसडीएम, तहसीलदार समेत कई की भूमिका संदिग्ध दो नामजद आरोपियों की स्टे कैंसिल के लिए हाईकोर्ट में की जाएगी अपील allahabad@inext.co.in ALLAHABAD: क्राइम ब्रांच ने सोमवार को झूंसी स्थित कटका में रेलवे की करोड़ों की जमीन हड़पने के मामले में कार्रवाई करते हुए छह भूमाफिया को गिरफ्तार किया। दो नामजद आरोपियों को अरेस्टिंग स्टे होने के कारण पकड़ा नहीं जा सका। अब क्राइम ब्रांच स्टे कैंसिल कराने के लिए हाईकोर्ट जाने की तैयारी में है। बता दें कि झूंसी स्थित कटका में रेलवे की करोड़ों की जमीन पर भूमाफिया ने गलत तरीके से कागजात तैयार कर कब्जा कर लिया और प्लाटिंग कर बेचने की फिराक में था। मामला उजागर होने पर जांच शुरू हुई तो कई छोटे-बड़े अधिकारियों के नाम भी सामने आए। अब मामले में पूर्व डीएम समेत कई अधिकारियों को पूछताछ के लिए नोटिस दी गई है। क्राइम ब्रांच के अधिकारियों की मानें तो करोड़ों की जमीन घोटाले में प्रशासनिक अधिकारी राजस्व रेलवे और विकास प्राधिकरण के अधिकारियों व कर्मचारियों की मिलीभगत सामने आयी है। इनके खिलाफ जांच टीम अहम सबूत जुटाने में लगी है। एसपी क्राइम बृजेश मिश्र ने बताया कि झूंसी स्थित कटका में रेलवे की करोड़ों की जमीन हड़पने में दो बिल्डर कुतुबुद्दीन और सलाउद्दीन के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया था, लेकिन जब पुलिस ने जांच की तो कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए। झूंसी थाने के हिस्ट्रीशीटर राजेश यादव ने करीबियों के नाम से रेलवे की जमीन पर फर्जीवाड़ा कर कब्जा कराया था। जांच के बाद क्राइम ब्रांच की एसआईटी ने सोमवार को झूंसी के मोहम्मद वसीम व मोहम्मद साजिद खान, थरवई क्षेत्र के धर्मवीर यादव, करेली निवासी फाजिल जाफरी , मुट्ठीगंज के संजय जायसवाल और कटका झूंसी के सुरेश चंद्र भारतीय को गिरफ्तार कर जेल भेजा। सभी पर आरोप है कि इन्होंने फर्जीवाड़ा कर रेलवे की जमीन हड़पी और मुख्तारनामा करा लिया। इनकी मदद से कुतुबुद्दीन और सलाउद्दीन को जमीन बेची गई थी। पकड़े गए आरोपियों में हिस्ट्रीशीटर राजेश यादव का भतीजा धर्मवीर यादव के नाम मुख्तारनामा हुआ। नामजद आरोपी लखनऊ किले वाले मस्जिद के इमाम का दमाद बताया गया है। केस में पूर्व सांसद अतीक अहमद की भूमिका भी संदिग्ध बताई गई है। जांच से पता चला है कि फाजिल जाफरी पूर्व विधायक के रिश्तेदार हैं जो कभी पूर्व सांसद अतीक के लिए काम करते थे। एसपी क्राइम की मानें तो मामले में इलाहाबाद के पूर्व डीएम, एसडीएम, सीआरओ, तहसीलदार, नायब तहसीलदार और लेखपाल की भूमिका भी संदिग्ध है। सभी को नोटिस देकर बयान के लिए बुलाया जाएगा।