कौन है रितेश

बीटेक स्टूडेंट रितेश उपाध्याय अल्लापुर में रहने वाले इंजीनियर विवेक उपाध्याय का बेटा है। बचपन से ही वह मेरिटोरियस रहा है। हालांकि 10 जनवरी को पुलिस ने रितेश को बाइक चोरी के आरोप में पकड़ लिया। सिविल लाइंस पुलिस का दावा था कि रितेश अपने साथी रजनीश व शिवम के साथ मिलकर बाइक चोरी करता है। ग्रुप के पास से चोरी की 10 बाइक बरामद करने का दावा भी किया गया था।

खुद फंस गई पुलिस

रितेश के एडवोकेट शांभावी नंदन ने बताया कि पुलिस की फर्द में लिखा है कि गिरफ्तारी के वक्त रितेश होंडा स्टैनर बाइक लिए हुए था। वह बाइक का पेपर भी नहीं दिखा सका था, ऐसे में पुलिस ने उसकी गाड़ी सीज कर दी। शांभावी का कहना है कि जब बाइक लिफ्टर गैंग का खुलासा किया गया तब वही बाइक बरामदगी के तौर पर दिखाई गई.  इस तरह पुलिस खुद अपने ही खेल में फंस गई।

इस बार और भी निराला जवाब

शांभावी के मुताबिक 21 जनवरी को कोर्ट ने रितेश की जमानत मंजूर कर ली। इसके बाद फैमिली मेम्बर्स ने बाइक रिलीजिंग के लिए सिविल लाइंस थाने में अर्जी दी। हालांकि कोर्ट के आदेश के बाद भी गाड़ी रिलीज नहीं की गई। मामला फिर कोर्ट पहुंचा। इस बार मजिस्ट्रेट के जवाब मांगने पर पुलिस का जवाब और भी निराला था। उसका कहना था कि रितेश नाम का कोई भी व्यक्ति गाड़ी लेकर थाने पहुंचा ही नहीं। चौंकाने वाली बात ये कि बाद में पुलिस ने गाड़ी रिलीज भी कर दी. 

फंसाना चाहते थे

आरोप है कि रितेश के जेल से छूटने के बाद से ही पुलिस उसके पीछे पड़ गई थी। दो फरवरी को फिर उसे एसओजी और सिविल लाइंस पुलिस ने पकड़ लिया। इस बार नौ फरवरी तक वह हिरासत में रहा। शांभावी का कहना है कि उन्होंने पुलिस के इस रवैये की शिकायत ह्यूमन राइट कमीशन, कोर्ट से भी की। रितेश की मानें तो एसओजी और पुलिस उसे किताब महल डकैती केस में फंसाना चाहती थी। मार्च में पुलिस ने शातिर अपराधी सुनील पहाड़ी को अरेस्ट कर किताब महल लूट केस का खुलासा करने का दावा किया। खास बात ये है कि इस केस में रितेश और उसके दोस्तों को भी वांटेड बना दिया।

थी कप्तान की पेशी

शांभावी की मानें तो रितेश की ही बाइक से उसको ही बाइक चोर डिक्लेयर करना कोर्ट को हजम नहीं हुआ। किताब घर डकैती केस में भी किसी आई विटनेस से पुलिस रितेश की शिनाख्त नहीं करा सकी। इस पर हाईकोर्ट ने रितेश का अरेस्टिंग स्टे मंजूर कर लिया। उधर चोरी मामले में इंसाफ पाने के लिए रितेश ने हाईकोर्ट में गुहार लगाई। कोर्ट ने फ्राइडे को सिविल लाइंस पुलिस और डीआईजी को कोर्ट में अपीयर होने के लिए बुलाया था।

तब क्यों नहीं कराई शिनाख्त?

10 जनवरी को पुलिस ने रितेश को बाइक चोरी मामले में जेल भेजा था। मामले में जमानत पर रिहा होते ही उसे किताब महल डकैती केस में वांटेड कर दिया। यहां भी पुलिस इसलिए फंस गई क्योंकि किताब महल डकैती केस 18 दिसंबर को हुआ था। अब सवाल यह उठता है कि जनवरी में जब रितेश को पकड़ा गया, तब किताब महल कांड के आई विटनेसेस से शिनाख्त क्यों नहीं कराई गई। पुलिस का कहना था कि डकैतों का हेलमेट स्पॉट पर मिला था। हेलमेट पर ही बाइक का नंबर लिखा था। हालांकि कोर्ट ने इसे स्वीकार नहीं किया।