City में बढ़ रहे bike चोरी के मामले

अगर पिछले एक मंथ के आंकड़ों पर गौर किया जाए तो सिटी में करीब 40 बाइक चोरी की घटनाएं हुई हैं। सिटी एसपी कार्तिक एस ने बताया कि सिटी में बाइक चोरी की सबसे ज्यादा घटनाएं साकची मार्केट एरिया से दर्ज हुई हैं जबकि सेकेंड और थर्ड नंबर पर बिष्टुपुर मार्केट और मानगो एरिया का नंबर है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि रोड साइड में व्हीकल पार्क करना कितना रिस्की है।

चोरी की bikes पहुंच रही WB
सिटी से चोरी हो रही बाइक्स को वेस्ट बंगाल ले जाया जा रहा है। जहां जाली कागजात बनाकर बाइक्स को 10 से 12 हजार रुपए में बेचा जा रहा है। सिटी एसपी का कहना है कि यहां ज्यादातर बाइक चोर गिरोह लोकल हैं। वे भीड़-भाड़ वाले एरियाज को ही टारगेट करते हैं। पिछले एक महीने में पुलिस द्वारा तीन बाइक चोर गिरोहों को भी पकड़ा जा चुका है लेकिन अभी तक पुलिस को कोई पुख्ता रिकॉर्ड नहीं मिला है कि सिटी में कितने बाइक चोर गिरोह सक्रिय हैं।

नहीं दिख रही कोई आस
झारखंड में गाजियाबाद की एक प्राइवेट कंपनी आर्गोज इम्प्लेक्स इंडिया प्राइवेट लिमिटेड को नंबर प्लेट्स मैनुफैक्चर करने का कांट्रैक्ट दिया गया। लेकिन महज तीन मंथ बाद अगस्त 2012 में इस कांट्रैक्ट को कैंसिल कर दिया गया। कांट्रैक्ट कैंसिल होने के बाद ऑर्गोज इम्प्लेक्स इंडिया प्राइवेट लिमिटेड कंपनी द्वारा झारखंड हाईकोर्ट में ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट के अगेंस्ट बिना किसी कांक्रीट रीजन के कांट्रैक्ट कैंसिल करने को लेकर केस दर्ज किया गया। इस मामले में अभी तक कोई डिसीजन नहीं आया है। जिसके चलते हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट सिस्टम अधर में लटका हुआ है। एडिश्नल ट्रांसपोर्ट सेक्रेटरी सजल चक्रवर्ती ने बताया कि जब तक इस केस को लेकर कोई रिजल्ट नहीं आता, तब तक किसी और कंपनी को टेंडर नहीं दिया जा सकता। उन्होंने बताया कि आर्गोज कंपनी द्वारा जो मैटेरियल सर्व किया गया उसकी क्वालिटी अच्छी नहीं थी। कंपनी ने नॉम्र्स को फॉलो नहीं किया। जिसके चलते कांट्रैक्ट को कैंसिल करना पड़ा।

देर आए पर दुरुस्त नहीं
एक जून 2005 को गवर्नमेंट ऑफ इंडिया द्वारा सेंट्रल मोटर व्हीकल रूल्स 1989 के रूल 50 में अमेंडमेंट किया गया और हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट सिस्टम को इंट्रोड्यूस किया गया। इसके तहत न्यू और ओल्ड व्हीकल्स में हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट्स लगाई जानी थीं। सुप्रीम कोर्ट के अल्टीमेटम पर झारखंड में हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट सिस्टम को मई 2012 में स्टार्ट किया गया।

क्या हैं इसके फायदे?
हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट को आसानी से बदला नहीं जा सकता है, जिसके चलते व्हीकल को ट्रेस करना आसान हो जाता है। इस सिस्टम को लागू करने का मेन रिजन था व्हीकल थेप्ट को रोकना ताकि उनका इस्तेमाल इल्लीगल कामों में नहीं किया जा सके। क्राइम को कंट्रोल करने में भी यह काफी कारगर साबित हो सकता है।

इन दिनों सिटी में बाइक चोर गिरोह काफी सक्रिय है। इनकी धरपकड़ के लिए खास ड्राइव चलाई जा रही है। पिछले एक मंथ में हमने तीन बाइक चोर गिरोहों को पकड़ा भी है।
कार्तिक एस,  सिटी एसपी, जमशेदपुर

हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट को लेकर हमारे पास कोई भी अपडेट नहीं आया है। अगस्त 2012 से ही ये स्कीम पूरी तरह से बंद है।
संजय पीएम कुजूर, डीटीओ, जमशेदपुर

ऑर्गोज इम्प्लेक्स कंपनी ने कांट्रैक्ट कैंसिल करने के बाद हाई कोर्ट में केस था। जब तक डिसीजन नहीं आता, टेंडर दूसरे को नहीं दिया जा सकता।
सजल चक्रवर्ती, एडिश्नल ट्रांसपोर्ट सेक्रेटरी, झारखंड

Report by : rajnish.tiwari@inext.co.in