फीमेल पेशेंट्स की संख्या बढ़ी  
स्टेट में महिलाओं के बीच कैंसर केसेज की संख्या बढ़ी रही है। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च की रिपोर्ट के अनुसार  2010 से लेकर 2013 के दौरान स्टेट में करीब 59 हजार से ज्यादा महिलाओं में कैंसर के मामले होने का अनुमान है। ये संख्या साल दर साल बढ़ रही है। 2010 में जहां 14 हजार 127 कैंसर केसेज थे जो 2013 में बढक़र 15 हजार 723 हो गए। बात सिटी स्थित मेहरबाई टाटा मेमोरियल हॉस्पिटल की करें तो यहां 2011-2012 के दौरान कैंसर के 2102 नए केसेज आए, जिनमें 1156 महिलाएं थी, जो कैंसर के टोटल पेशेंट्स का करीब 55 परसेंट है।


ब्रेस्ट केंसर के बढ़ रहे मामले
आईसीएमआर के अनुसार पिछले कुछ सालों में महिलाओं के बीच ब्रेस्ट कैंसर के मामले तेजी से बढ़े हैं। सिटी स्थित एमटीएमएच में आने वाले केसेज में भी कुछ ऐसा ही दिखता है। 2011-2012 के दौरान एमटीएमएच में ब्रेस्ट कैंसर के केसेज का परसेंटेज सबसे ज्यादा था। इस दौरान एमटीएमएच में ब्रेस्ट कैंसर के 308 मामले आए जो कैंसर के कुल मामलों का 14.65 परसेंट था।


Cervix cancer का भी खतरा
महिलाओं में सर्विक्स और ओवरी कैंसर के भी केसेज बड़ी संख्या में देखने को मिल रहे हैं। 2011-12 के दौरान एमटीएमएच में सर्विक्स कैंसर के 245 मामले आए जो कुल महिला पेशेंट्स का करीब 21 परसेंट था, वहीं ओवरी कैंसर के भी 77 मामले आए। गॉल Žलाडर, थायरायड से रिलेटेड कैंसर में भी महिलाओं की संख्या पुरुषों से ज्यादा है।

आए 24 हजार से ज्यादा पेशेंट्स
मेहरबाई टाटा मेमोरियल हॉस्पिटल में आने वाले पेशेंट्स की संख्या में भी पिछले कुछ सालों के दौरान इजाफा हुआ है। 2011-12 के दौरान हॉस्पिटल में 22 हजार 525 ओपीडी पेशेंट आए। यह संख्या 2012-13 में बढक़र 24 हजार 368 हो गई। 2012-13 में हॉस्पिटल के ओपीडी में 2409 नए पेशेंट आए। हॉस्पिटल के सीनियर एडमिनिस्ट्रेटिव ऑफिसर मोहम्मद हसमतुल्लाह ने बताया कि  कई पेशेंट्स कोलकाता और अन्य जगहों पर ट्रीटमेंट के लिए चले जाते हैं, नहीं तो यहां नंबर ऑफ केसेज में और भी इजाफा देखने को मिलता।

यंग पेशेंट्स भी कम नहीं
मो। हसमतुल्लाह ने कहा कि हॉस्पिटल में आने वाले पेशेंट्स में बड़ी संख्या यंग पेशेंट्स की भी होती है। खासकर टोबैको रिलेटेड कैंसर केसेज में इनकी संख्या करीब 40 परसेंट तक है। उन्होंने कहा कि रुरल एरियाज के कंपैरिजन में अर्बन एरियाज से यंग पेशेंट ज्यादा आते हैं। हॉस्पिटल में 2011-12 के दौरान लिप्स और ओरल कैविटी से जुड़े 238 मामले आए।


खुद से करें जांच
डॉ पीएन राजलक्ष्मी ने कहा कि शुरुआत में कैंसर अक्सर पेनलेस होता है। इस ध्यान नहीं देने से बाद में यह खतरनाक हो जाता है। महिलाएं चाहें तो समय-समय पर हाथों से ब्रेस्ट की जांच कर सकती हैं। अगर इसमें किसी तरह का ट्यूमर या थिकनेस दिखाई देती है तो इसकी जांच कराना जरूरी है। अगर अनयूजुअल Žलीडिंग हो तो ऐसी स्थिति में भी प्रॉपर चेकअप जरूरी है।


Awareness है जरूरी
कैंसर का नाम सुनते ही किसी के भी हाथ-पांव फूल जाते हैं। डॉक्टर इस डर की वजह अवेयरनेस की कमी बता रहे हैं। एमटीएमएच की रजिस्ट्रार और मेडिकल ऑफिसर डॉ पीएन राजलक्ष्मी ने कहा कि कैंसर लाइलाज नहीं है। अगर अर्ली स्टेज में बीमारी की पहचान कर ली जाए तो इसका इलाज पूरी तरह संभव है। अगर स्टेज 1 या 2 में कोई बीमारी की पहचान हो जाए तो ट्रीटमेंट किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि हॉस्पिटल में आने वाले करीब 80 परसेंट पेशेंट लेटर स्टेज में आते हैं। मो। हसमतुल्लाह ने कहा कि ब्रेस्ट कैंसर जैसे मामलों में कई महिलाएं झिझक के चलते नहीं आतीं।


अगर अर्ली स्टेज में बीमारी डिटेक्ट कर ली जाए तो कैंसर का ट्रीटमेंट पॉसिबल है। ब्रेस्ट कैंसर जैसे मामलों में महिलाएं खुद से बीमारी के अर्ली साइन्स पहचान सकती हैं।
-डॉ पीएन राजलक्ष्मी, रजिस्ट्रार एंड मेडिकल ऑफिसर, एमटीएमएच


महिलाओं में ब्रेस्ट और सर्विक्स कैंसर के मामले बढ़ रहे हैैं। वही टोबैको रिलेटेड कैंसर के भी काफी केसेज आते हंै। कैंसर को लेकर लोगों में अवेयरनेस की कमी है। अवेयरनेस लेवल बढ़ाकर इस बीमारी के खतरों से बचा जा सकता है।
-मो। हसमतुल्लाह, सीनियर एडमिनिस्ट्रेटिव ऑफिसर, एमटीएमएच

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