- लगातार मौसम के रुख से डीएक्टिवेट हुए इंसेफेलाइटिस के वायरस

- आगे भी मौसम का मिजाज ऐसे ही रहने से कम होगा प्रकोप

- पिछले एक पखवाड़े से जारी है मौसम का सितम

GORAKHPUR: मौसम में उठा-पटक का सिलसिला बदस्तूर जारी है। पिछले एक पखवाड़े से ठंड अपने शबाब पर है, वहीं लोगों की परेशानी बढ़ी हुई है। लोग ठंड से जल्द से जल्द निजात पाना चाहते हैं। वहीं, दूसरी ओर इंसेफेलाइटिस से पीडि़त मरीजों के लिए यह ठंड किसी ऑक्सीजन से कम नहीं है। इस दौरान वायरस डीएक्टिव हो चुके हैं और मेडिकल कॉलेज से लेकर जिला अस्पताल तक में मरीजों का आंकड़ा एक्का-दुक्का पर सिमट कर रह गया है। अगर इस मौके का सही फायदा उठाया जाए और बेहतर से बेहतर ट्रीटमेंट के साथ हाईजीन मेनटेन की जाए, तो लोगों को न सिर्फ इस बीमारी से निजात मिल जाएगी, बल्कि मासूमों को काल के गाल में समाने से भी बचाया जा सकता है।

इम्युनिटी बढ़ी, बीमारी घटी

मौसम का पिछले 15 दिनों से ज्यादा वक्त से मिजाज काफी ठंडा है। इस वजह से वायरस और बैक्टेरिया का प्रकोप बिल्कुल न के बराबर है। इसकी वजह से इंसेफेलाइटिस से पीडि़त लोगों के आंकड़ों में भी कमी आई है। एक्सप‌र्ट्स की मानें तो इस तरह के मौसम में ह्यूमन बॉडी की इम्युनिटी पॉवर बढ़ जाती है, इससे बीमारियां शरीर पर कम असर करती हैं। वहीं वायरस और बैक्टेरिया की पॉवर भी कम हो जाती है। जिससे बीमारियों का असर नहीं होता या कम होता है।

हाईजीन मेटनेन करने का बेहतर मौका

एक्सप‌र्ट्स की मानें तो मौसम का जो असर है, यह एडमिनिस्ट्रेशन के लिए काफी फायदेमंद है। अगर इस दौरान सभी सेफ्टी प्रिकॉशन लिए जाएं और जरूरी कैंपेन चलाया जाए, तो बीमारी के कहर पर लगाम कसी जा सकती है। स्वच्छता सर्वेक्षण को लेकर पहले से नगर निगम साफ-सफाई के साथ ही हाईजीन मेनटेन करने को लेकर ध्यान दे रहा है। अगर इस दौरान इंसेफेलाइटिस के लिए चलने वाला अभियान बड़े पैमाने पर चला दिया जाए, तो जिम्मेदारों को इसका फायदा मिल सकता है।

घट गए हैं मरीजों के आंकड़े

मौसम का असर इंसेफेलाइटिस के मरीजों पर किस तरह से पड़ रहा है, इसका अंदाजा बीआरडी मेडिकल कॉलेज में आने वाले मरीजों के आंकड़ों को देखते हुए लगाया जा सकता है। अगस्त से नवंबर के बीच जब टेंप्रेचर थोड़ा ज्यादा था, तो इस दौरान रोजाना दो से तीन दर्जन मरीज इलाज के लिए पहुंचते थे। मगर जबसे ठंड बढ़ी है और टेंप्रेचर नीचे आया है, तबसे यह आंकड़ा सिमटकर दो-तीन मरीजों पर पहुंच गया है। बीआरडी सोर्सेज की मानें तो इसमें भी कई दिन एक भी मरीज इलाज के लिए नहीं आए।

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बुधवार को भी मौसम का उठापटक जारी

मौसम की उठा-पटक का सिलसिला बुधवार को बदस्तूर जारी रहा। इस दौरान थोड़ा राहत यह रही कि लोगों को सूरज के दीदार हुए। सुबह जहां कोहरे और बदली ने परेशान किया, वहीं दोपहर होते-होते धूप से राहत मिली। वहीं शाम को फिर मौसम का मिजाज पल्टी खा गया और इस दौरान लोगों को सर्द हवाएं और गलन परेशान करने लगी। शाम होते-होते कोहरे ने परेशानी बढ़ानी शुरू कर दी। रात पर सर्द हवाएं और गलन परेशानी बढ़ाती रही।

यूं रहा है टेंप्रेचर

डेट मैक्सिमम मिनिमम

17 जनवरी 14.6 8.0

16 जनवरी 12.6 8.2

15 जनवरी 11.7 7.3

14 जनवरी 11.2 5.8

13 जनवरी 13.9 6.7

12 जनवरी 14.3 7.1

11 जनवरी 10.4 6.8

10 जनवरी 12.7 8.4

ठंड के मौसम में बॉडी की इम्युनिटी पॉवर बढ़ जाती है। इस वजह से वायरस और बैक्टेरिया का असर काफी कम होता है। इस दौरान अगर बैक्टेरियाज पर अटैक किया जाए तो बेहतर रिजल्ट्स मिल सकते हैं।

- डॉ। प्रांशु वर्मा, फिजिशियन