दुनिया की तेजी से उभरती हुई पांच अर्थव्यवस्थाओं, ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका ने मिलकर एक समूह तैयार किया है जिसे 'ब्रिक्स' का नाम दिया गया है। मेक्सिको में जी-20 के एक सम्मेलन के बाद घोषणा की गई है कि भारत आईएमएफ को 10 अरब डॉलर देगा। रूस ने भी इतना ही योगदान करने का वादा किया है।

समाचार एजेंसी रायटर्स ने सूत्रों के हवाले से कहा है कि चीन आईएमएफ के फंड में 43 अरब डॉलर का योगदान करेगा। आईएमएफ में आर्थिक हिस्सेदारी बढ़ाने की ये घोषणा वैसे समय की गई है जब संगठन अधिक धन जुटाने की कोशिश में है ताकि भविष्य में किसी तरह के आर्थिक संकट से निपटने के लिए तैयार रहा जा सके।

ब्रिक्स की मांग

जी- 20 सम्मेलन की समाप्ति के बाद ब्रिक्स की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है, “यह नए योगदान इस उम्मीद के साथ किए जा रहे हैं कि साल 2010 में जिन सुधारों पर सहमति बनी थी, उन पर समय अनुसार अमल किए जाएंगे। साथ ही वोटिंग अधिकारों और कोटा नीति में भी बदलाव लाए जाएंगें.” हालांकि ब्रिक्स देशों ने साफ किया कि नए योगदान का इस्तेमाल पहले से ही मौजूद संसाधनों के इस्तेमाल के बाद ही किया जाए।

आईएमएफ ने यूरोजोन के कर्ज के संकट से जूझ रहे ग्रीस जैसे देशों को कर्ज देने की हिमायत की है। ऐसी भी चिंता है कि अगर स्पेन या इटली जैसी बड़ी अर्थव्यवस्थाओं पर इस संकट का असर पड़ता है तो उसके लिए फिलहाल मौजूद फंड पर्याप्त नहीं होगा। भारत के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा है कि ऐसा समझा जाता है कि मौजूद व्यवस्था संकट से निपटने के लिए काफी नहीं है।

इस बीच यूरोपीय संघ के अध्यक्ष होजे मेनुएल बरोसो ने कहा है कि मौजूदा आर्थिक संकट के लिए यूरोप नहीं बल्कि उत्तरी अमरीका जिम्मेदार है। वहां कुछ इस तरह की वित्तीय व्यवस्थाओं को अपनाया गया जो सही नहीं थे। इसका असर यूरोप के वित्तीय क्षेत्र पर भी पड़ा है। लेकिन किसी को जिम्मेदार ठहराने की बजाए साथ मिलकर इस संकट से निपटने की जरुरत है."

घोषणापत्र

जी-20 सम्मेलन के लिए तैयार घोषणापत्र में यूरोप के बैंकों के कामकाज में सामंजस्य और राजस्व तालमेल स्थापित करने की कोशिशों की तारीफ की गई है। हालांकि घोषणापत्र में लगातार बढ़ रहे व्यापार संरक्षण पर चिंता भी जाहिर की गई है। जी-20 की बैठक ऐसे समय में हो रही है जब यूरोजोन में संकट है। विश्व के कुल सकल घरेलू उत्पाद का 80 प्रतिशत हिस्सा जी-20 देशों से आता है।

सम्मेलन के लिए अन्य देशों के नेता भी यूरोपीय देशों से आग्रह कर चुके हैं कि वे यूरोजोन संकट के हल के लिए हर संभव कदम उठाएँ। अमरीकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने धीमी होती आर्थिक विकास की गति पर चिंता जताई। जर्मनी की चांसलर एंगेला मर्केल का कहना था कि यूरोप ये बताना चाहता है कि वो आर्थिक संकट से निपटने के कदम उठा रहा है।

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