चीन को नहीं है पसंद

आपको बताते चलें कि फिलीपींस दक्षिण चीन सागर पर चीन के दावे को चुनौती देता रहा है। वह इस इलाके को पश्चिमी फिलीपींस सागर कहलाता है, जोकि चीन को पसंद नहीं। ऐसे में भारत का भी फिलीपींस सागर कहना कोई सोची-समझी रणनीति हो सकती है। सरकार के उच्च पदस्थ सूत्रों की मानें, तो विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने फिलीपींस के अपनी समकक्ष डेल रोजारियो से हाल ही में मुलाकात की थी। इस मीटिंग में दक्षिण चीन सागर की जगह पश्चिमी फिलीपींस सागर शब्द का इस्तेमाल बार-बार किया गया।

अमेरिका को नहीं है कोई चिंता

गौरतलब है कि दक्षिण चीन सागर में एक द्वीप के नजदीक मिसाइल से लैस अमेरिकी पोत के प्रवेश पर चीन भड़क गया है। उसने अमेरिकी कार्रवाई को अपनी संप्रभुता के लिए खतरा बताया है। चीन की आपत्ति को दरकिनार करते हुए अमेरिका के रक्षा मंत्री एश्टन कर्टर ने कहा कि अमेरिका अपने नौसैन्य अभियान को जारी रखेगा। कर्टर ने कहा कि हाल के दिनों में दक्षिण चीन सागर में नौसैन्य अभियान चलाए गए थे, और इस तरह के अभियान हफ्तों,महीनों तक चलाए जाएंगे। उन्होंने कहा कि जब जैसी जरूरत होगी अंतर्राष्ट्रीय कानूनों की सीमा में हम उड़ान भरेंगे, नौसैन्य अभियान को आगे बढ़ाएंगे। कर्ट र ने कहा कि अमेरिकी भविष्य के लिए एशिया प्रशांत क्षेत्र में शक्ति संतुलन का होना बेहद जरूरी है और इस मकसद को पूरा करने के लिए हम प्रतिबद्ध हैं।

चीन दे सकता है करारा जवाब

चीन के विदेश मंत्री वांग ली ने अमेरिका से कहा है कि वह बिना किसी बात के बखेड़ा न खड़ा करे। वह आंख बंद कर काम न करे और कुछ भी करने से पहले एक बार सोच ले। चीन के विदेश मंत्रालय ने बताया कि अमेरिका को अवैध रूप से स्पार्टली में मानव निर्मित द्वीप के नजदीक जल में प्रवेश करने को लेकर चेताया गया। चीन किसी भी देश द्वारा जानबूझकर जल क्षेत्र का उल्लंघन करने पर करारा जवाब देगा। चीन के विदेश उपमंत्री झांग येसुई ने अमेरिकी राजदूत मैक्स बाउकस को तलब कर चीन की संप्रभुता और सुरक्षा हितों को नुकसान पहुंचाने वाली कार्रवाइयां बंद करने को कहा।

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