वाशिंगटन (पीटीआई)। अमेरिका में रह रही भारतीय मूल की राजलक्ष्मी नंदकुमार को जीवन के लिए खतरा बन चुकी स्मार्ट फोन से जुड़ी स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का हल निकालने में मदद करने के लिए वहां के एक प्रतिष्ठित पुरस्कार से सम्मानित किया जायेगा। बता दें कि वाशिंगटन यूनिवर्सिटी में पढ़ने वाली नंदकुमार ने एक ऐसी टेक्नोलॉजी बनाई है, जो एक सामान्य स्मार्टफोन को ऐसे एक्टिव सोनार सिस्टम में बदल देगी, जो बिना बॉडी को टच किये शरीर में होने वाली फिजियोलॉजिकल गतिविधियों जैसे कि मूवमेंट और सांस की प्रक्रिया को भांपकर बीमारी का तुरंत पता लगा लेती है।

चमगादड़ों से ली प्रेरणा
बता दें कि राजलक्ष्मी को 2018 मार्कोनी सोसायटी पॉल बरन यंग स्कॉलर पुरस्कार के लिए चुना गया है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, राजलक्ष्मी ने इस तकनीक के लिए चमगादड़ों से प्रेरणा ली, जो अंधेरे में ध्वनिक सिग्नल भेजकर सोनार तकनीक की मदद से किसी भी ऑब्जेक्ट का पता लगा लेती हैं। उनका यह सिस्टम फोन के स्पीकर से इनऑडीबल साउंड सिग्नल को प्रसारित करके और मानव शरीर से उनके प्रतिबिंबों को ट्रैक करके काम करता है। मीडिया विज्ञप्ति में कहा गया है कि प्रतिबिंबों का एनालिसिस एल्गोरिदम और सिग्नल प्रोसेसिंग तकनीकों के कॉम्बिनेशन के बाद किया जाता है।

हमेशा से ढूंढना चाहती थीं तरीका
बता दें कि नंदकुमार ने चेन्नई से कंप्यूटर साइंस एंड इंजीनियरिंग में बैचलर की डिग्री हासिल की है। उन्होंने बैचलर की डिग्री हासिल करने के बाद माइक्रोसॉफ्ट रिसर्च इंडिया के लिए भी काम किया है। नंदकुमार के माता-पिता मूल रूप से मदुरै के रहने वाले हैं। नंदकुमार ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा, 'मैं हमेशा फिजियोलॉजिकल सिग्नल्स का पता लगाने के तरीकों को ढूंढना चाहती थी क्योंकि ये हेल्थकेयर एप्लीकेशन के लिए सबसे अधिक इस्तेमाल किए जाने वाले सिग्नल हैं।'

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