इंस्पेक्शन करने गई टीम से हुआ सामना

फिर चमोली के बाड़होती (बाराहोती) में घुसे चीन के सैनिक

-निरीक्षण के लिए बाड़ाहोती गई प्रशासनिक टीम ने देखा

-चीनी सैनिकों ने टीम को किया वापस लौटने का इशारा

गोपेश्वर (चमोली): एक बार फिर उत्तराखंड के चमोली जिले के सीमावर्ती इलाके में चीन के सैनिकों की घुसपैठ सामने आई है। चमोली जिले में सीमा पर सटे बाड़ाहोती (जिसे बाराहोती के नाम से भी जाना जाता है) में इंस्पेक्शन के लिए गई प्रशासन की टीम से चीन के सैनिकों का सामना हुआ। बताया गया है कि चीनी सैनिकों ने भारतीय टीम को वापस लौटने का इशारा किया। चमोली के जिलाधिकारी विनोद कुमार सुमन ने कहा कि टीम नियमित निरीक्षण पर गई थी। इसके आगे जानकारी देने से डीएम ने साफ इनकार कर दिया और कहा कि निरीक्षण की रिपोर्ट गोपनीय है और इसे भारत सरकार को भेजा जाएगा।

कहां है बाड़डहोती?

बाड़होती जोशीमठ से करीब 103 किलोमीटर दूर है। यह बेहद दुर्गम इलाका है। जोशीमठ से मलारी होते हुए रिमखिम तक सड़क से पहुंचा जाता है। इसके बाद 8 किलोमीटर पैदल चलकर बाड़ाहोती पहुंचा जाता है। प्रशासन की टीम इस इलाके का साल में तीन बार इंस्पेक्शन करती है। ये इंस्पेक्शन दो बार गर्मियों में और एक बाद सर्दी के मौसम में किया जाता है। 19 जुलाई को जोशीमठ के उपजिलाधिकारी योगेन्द्र सिंह के नेतृत्व में 19 सदस्यीय दल बाड़ाहोती के निरीक्षण के लिए गया था। सूत्रों के मुताबिक 22 जुलाई को दल रिमखिम से आगे बढ़ा तो बाड़ाहोती के पास उन्हें कुछ चीनी सैनिक नजर आए। इस पर रिमखिम लौटा और भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आइटीबीपी) को इसकी सूचना दी।

बॉक्स

कई बार हुई है घुसपैठ

चमोली के सीमावर्ती इलाके बाड़ाहोती में चीनी सैनिकों की घुसपैठ की ये पहली घटना नहीं है। पिछले साल भी यहां कुछ चरवाहों से चीनी सैनिकों का सामना हुआ था। तब चरवाहों को चीनी सैनिकों ने मारपीट कर भगा दिया था। सरकारी आंकड़े कहते हैं कि पिछले पांच साल में बाड़होती इलाके में चीनी सैनिकों ने कम से कम 37 बार घुसपैठ की है। इस इलाके में चीनी सैनिक न सिर्फ हथियारों के साथ घुसे थे बल्कि जून 2014 में यहां उन्होंने अपना हेलीकॉप्टर भी उतारा था।

बॉक्स

पलायन से बढ़ी चीनी घुसपैठ

आपको बता दें कि चमोली इलाके के सीमावर्ती गांव लगातार खाली होते जा रहे हैं। वजह, इन गांवों में बुनियादी सुविधाएं तक नहीं हैं। नीती और मनारी घाटी के गांव पूरी तरह खाली हो चुके हैं। चीन सीमा से सटे भारत के आखिरी गांव माणा में ग्रामीण सिर्फ गर्मियों में लौटते हैं। पिछले साल खुद राज्यपाल के के पॉल ने चीन से सटे चमोली के गांवों का दौरा किया था। उसके बाद इन गांवों में इंडिया की तरफ से बिस्कुट और नमकीन के खाली रैपर फेंके गए थे, ताकि चीनी सैनिकों को ये संदेश दिया जा सके कि यहां भारतीय ग्रामीणों का आना-जाना लगातार बना हुआ है।