इन कारणों से सूर्योदय से पहले दी जाती है फांसी

सूर्योदय से पहले फांसी देने के मामले में जानकारों का कहना है कि जेल में सारे काम सूर्योदय के बाद ही शुरू होते हैं। इस वजह से फांसी की सजा सूर्योदय से पहले ही दे जाती है। जिससे जेल के अन्य कामों पर इसका असर ना पड़े। दोषी को फांसी दिए जाने के दस मिनट बाद डाक्टरों का एक पैनल फांसी के फंदे में ही चेकअप कर बताता है कि वो उस शख्स की मौत हुई है नहीं। डॉक्टरों द्वारा चेकअप करने के बाद ही उसे फांसी के फंदे से उतारा जाता है। फांसी देते वक्त जेल अधीक्षक, एग्जीक्यूटिव मजिस्ट्रेट और जल्लाद मौजूद होता है। इनके तीनो के बिना फांसी नही दी जा सकती है।

जेल मैन्युअल के तहत पूरी होती है कैदी की इच्छा

फांसी से पहले जेल प्रशासन दोषी की आखिरी ख्वाहिश पूछता है। यह ख्वाहशि जेल के अंदर एवं जेल मैन्युअल के तहत होनी चाहिए। इसमें दोषी अपने परिजन से मिलने की इच्छा सहित कोई धर्म ग्रंथ पढ़ने की इच्छा करता है। अगर कैदी की यह इच्छाएं जेल प्रशासन के मैन्युअल में है तो वो पूरी करता है। कैदी को फांसी देने से पहले जल्लाद बोलता है मुझे माफ कर दिया जाए। हिंदू भाईयों को राम-राम मुस्लमान भाईयों को सलाम हम क्या कर सकते हैं हम तो हुकुम के गुलाम हैं।

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