जश्न के मिले कई मौके
एशियन गेम्स में भारत के मेडलों की संख्या में भले ही गिरावट आई हो, लेकिन इसके बावजूद भारतीय खेमे में ऐसे कई मौके आये जब भारतीय प्लेयर्स और फैंस को जश्न मनाने का मौका मिला. इस बार पुरुष हॉकी टीम ने लंबे समय के बाद गोल्ड मेडल जीता, जबकि बॉक्सर मैरीकॉम ने गोल्ड मेडल जीतकर भारत की शान को और बढ़ा दिया. हालांकि देश के प्लेयरों का एशियन गेम्स अभियान में प्रदर्शन मिला-जुला रहा.

चला योगेश्वर दत्त का जादू
पिस्टल शूटर जीतू राय और फ्रीस्टाइल रेसलर योगेश्वर दत्त इन खेलों के नायक रहे. हालांकि भारत 2010 ग्वांगझू खेलों के अपने 65 मेडलों की संख्या में सुधार करने या इसकी बराबरी करने के इरादे से उतरा था. फिलहाल इस बार भारत को पिछली बार की तुलना में कम मेडलों से ही संतोष करना पड़ा. भारत ने 11 गोल्ड जीते, जो पिछली बार से 3 कम हैं. इसके अलावा 10 सिल्वर और 36 ब्रॉन्ज सहित कुल 57 मेडल जीते हैं. भारत ने एथलेटिक्स और कबड्डी में 2-2 गोल्ड मेडल जीते, जबकि तीरंदाजी, बॉक्सिंग, हॉकी, शूटिंग, स्क्वैश, टेनिस और रेसलिंग में 1-1 गोल्ड मेडल मिला.

चीन ने बनाया दबदबा
इस बार भी भारत ग्लास्गो में कॉमनवेल्थ गेम्स में अच्छा प्रदर्शन करने के बाद यहां आया था और एक बार फिर कॉमनवेल्थ गेम्स और एशियन गेम्स में अंतर देखने को मिला. एशियन गेम्स में एक बार फिर चीन ने दबदबा बनाया. हालांकि गोल्ड मेडलों की गिरती संख्या के बीच सरदार सिंह की अगुवाई वाली भारतीय पुरुष हॉकी टीम ने फाइनल में चिर प्रतिद्वंद्वी पाकिस्तान को पेनाल्टी शूट आउट में हराकर देश के मान को बढ़ाया. इसके अलावा भारत के लिये पुरुष कंपाउंड तीरंदाजी टीम, मैरीकॉम, योगेश्वर दत्त, पुरुष स्क्वैश टीम, सानिया मिर्जा और साकेत की टेनिस मिक्स्ड डबल्स जोड़ी, महिला चक्का फेंक खिलाड़ी सीमा पूनिया और 400 गुणा मीटर रिले टीम ने भी गोल्ड मेडल जीते. 

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