चिदंबरम आईएमएफ़ और विश्व बैंक की सालाना बैठक में भाग लेने के लिए इन दिनों वॉशिंगटन पहुंचे हुए हैं.

इसी हफ़्ते की शुरूआत में अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर के अनुमान में संशोधन का ऐलान करते हुए उसे 5.6 से घटाकर 3.8 कर दिया. चुनावी साल में यूपीए सरकार के लिए ये कोई अच्छी ख़बर नहीं थी.

लेकिन वॉशिंगटन स्थित एक थिंक टैंक को संबोधित करते हुए वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने कहा कि वो इस निराशाजनक आकलन से सहमत नहीं हैं.

उनका कहना था, “मैं जानता हूं कि विश्व आर्थिक आकलन रिपोर्ट हमसे सहमत नहीं हैं लेकिन मैं आपको बताना चाहता हूं कि हम भी उनके निराशाजनक आकलन से सहमत नहीं हैं.”

लक्ष्य

"मैं जानता हूं कि विश्व आर्थिक आकलन रिपोर्ट हमसे सहमत नहीं हैं लेकिन मैं आपको बताना चाहता हूं कि हम भी उनके निराशाजनक आकलन से सहमत नहीं हैं"

-पी चिदंबरम

चिदंबरम ने कहा कि अच्छी बारिश और और आर्थिक सुधार कार्यक्रमों की वजह से भारतीय अर्थव्यवस्था में कम से कम पांच प्रतिशत की दर पर वृद्धि होगी और संभव है कि वो साढ़े पांच प्रतिशत तक भी पहुंच जाए.

उनका कहना था कि पूरी दुनिया की अर्थवय्वस्था की धीमी रफ़्तार को देखते हुए पांच प्रतिशत की वृद्धि दर बुरी नहीं है लेकिन 2004 में उनकी सरकार ने जिस तरह का लक्ष्य रखा था उसके मुक़ाबले ये बेहद कम है.

वित्त मंत्री ने कहा कि कि भारत को इससे बेहतर प्रदर्शन करना होगा इसमें कोई दोराय नहीं है.

उनका कहना था कि भारतीय अर्थव्यवस्था में सुधार के आसार नज़र आने लग गए हैं और पिछली तिमाही के परिणाम भी उत्साहजनक हैं.

साल 2012-13 में भारतीय अर्थव्यवस्था में पांच प्रतिशत की दर से वृद्धि हुई जो पिछले दशक की सबसे धीमी वृद्धि दर थी.

चिदंबरम का कहना था कि पिछले तीन महीनों में निर्यात में तेज़ी आई है, बारिश अच्छी हुई है और किसान पिछले सालों के मुक़ाबले ज़्यादा बोआई कर रहे हैं.

उनका ये भी कहना था कि सरकार की तरफ़ से लाए गए आर्थिक सुधारों का असर वित्तीय वर्ष के दूसरे हिस्से में दिखने लगेगा और दुनिया की अर्थव्यवस्था में भारत ने अपने लिए जिस तरह के लक्ष्य रखे हैं वो पूरे होंगे.

International News inextlive from World News Desk