इससे पहले मात्र 25 वर्ष की आयु में हरियाणा सरकार में सबसे युवा कैबिनेट मंत्री बनने वाली सुषमा दिल्ली की पहली महिला मुख्यमंत्री और देश में किसी राजनीतिक दल की पहली महिला प्रवक्ता बनने की उपलब्धि भी अर्जित की हुई है.

62 वर्षीय सुषमा को नरेन्द्र मोदी की कैबिनेट में प्रवासी भारतीय मामलों के मंत्रालय का भी अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया है.

सुषमा केंद्रीय कैबिनेट के सबसे महत्वपूर्ण मंत्रालयों से शामिल विदेश मंत्रालय का प्रभार ऐसे समय में संभाल रही हैं जब भारत एशिया के प्रमुख देश बनने के साथ ही दक्षिणी एशिया के सर्बप्रमुख देशों का महत्वपूर्ण आवाज बन चुका है. ऐसे में सुषमा की भूमिका काफी अहम हो जाती है.

भारत के सामने अपने पड़ोसी देशों के साथ संबंध बेहतर बनाने के साथ ही साथ बिदेश नीति के सफल क्रियान्वयन की जिम्मेदारी भी है. इन सारे मुद्दों को लेकर सुषमा की कार्यपद्धति काफी महत्वपूर्ण होगी.

संयोगवश विदेशी मामलों के मंत्रालय में विदेश सचिव सुजाता सिंह भी महिला हैं.

कई महत्वपूर्ण उपलब्धि

सुषमा सात बार सांसद और तीन बार विधायक चुनी गई हैं. उन्होंने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत 1970 के दशक में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की छात्र शाखा अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के साथ की थी.

सुषमा 1977 में 25 वर्ष की आयु में सबसे युवा कैबिनेट मंत्री बनी थीं. उन्होंने हरियाणा में शिक्षा मंत्रालय का कार्यभाल संभाला था. सुषमा 1979 में बीजेपी की हरियाणा इकाई की अध्यक्ष बनी थीं और वह श्रेष्ठ सांसद पुरस्कार से सम्मानित होने वाले चुनिंदा सांसदों में शामिल हैं.

अम्बाला छावनी से 1977 से 1983 तक हरियाणा विधानसभा की सदस्य रहीं सुषमा ने देवी लाल सरकार में कैबिनेट मंत्री के तौर पर शपथ ग्रहण की थी.

सुषमा ने 1996 में अटल बिहारी वाजपेयी की 13 दिनों की सरकार में कैबिनेट मंत्री के तौर पर सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय संभाला था.

उन्होंने अक्तूबर 1998 में दिल्ली की पहली महिला मुख्यमंत्री के तौर पर कार्यभार संभालने के लिए वाजपेयी के अगले कार्यकाल में कैबिनेट मंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया था.

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