1. सचिन तेंदुलकर :
सचिन तेंदुलकर के बिना भारतीय क्रिकेट की कल्पना करना असंभव है। 21 साल तक क्रिकेट खेलना आसान काम नहीं होता। इतने लंबे करियर में सचिन ने काफी उतार-चढ़ाव देखे लेकिन क्रिकेट के प्रति उनका प्रेम वैसा ही बना रहा, जैसा 16 साल की उम्र में था। 2011 वर्ल्डकप जीतने के बाद विराट कोहली ने कहा था कि, सचिन ने 21 साल तक अपने कंधो पर भारतीय टीम की जिम्मेदारी निभाई। यह एक बड़ी बात है।
2. ध्यानचंद :
हॉकी का नाम सुनते ही जेहन में ध्यानचंद की छवि सहज उभर आती है। फुटबॉल में पेले और क्रिकेट में जो स्थान ब्रेडमेन का है, वहीँ स्थान हॉकी में ध्यानचंद का है। उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय हॉकी मैचों में 400 से अधिक गोल किए है। उनकी कप्तानी में भारतीय टीम लगातार 1928, 1932 और 1936 में ओलंपिक में गोल्ड मैडल जीतने में कामयाब हुई है। उन्हें 'हॉकी का जादूगर' कहा जाता है। सारा विश्व उनके खेल कौशल का कायल था।
3. अभिनव बिंद्रा :
अभिनव बिंद्रा 10 मीटर एयर रायफल स्पर्धा में भारत के एक प्रमुख निशानेबाज रहे हैं। वे 11 अगस्त 2008 को बीजिंग ओलंपिक खेलों की व्यक्तिगत स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीतने वाले पहले भारतीय खिलाड़ी हैं। अभिनव बिंद्रा नए युवाओं के लिए आदर्श हैं।
4. पी.वी. सिंधु :
पीवी सिंधु भारत की विश्व वरीयता प्राप्त महिला बैडमिंटन खिलाड़ी हैं। और 2016 के रियो ओलंपिक में सिल्वर पदक जीतने के बाद से पूरे देश में चर्चा है। यह कारनामा करने वाली वे भारत की पहली खिलाड़ी हैं। राष्ट्रीय स्तर पर अपनी प्रतिभा की चमक बिखेरने के बाद 5 फुट 10 इंच हाइट वाली सिंधु ने साल 2009 में सिंधु ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपने दमखम का परिचय दिया।
5. मिल्खा सिंह :
आजादी के बाद भारत के पहले स्टार खिलाड़ी माने जाते हैं मिल्खा सिंह। मिल्खा सिंह भारत के प्रसिद्ध धावक व एथलीट है जिन्होंने 1960 के रोम ओलंपिक में भाग लिया था। वह 0.1 सेकंड से कांस्य पदक पाने से चूक गए थे। उन्हें भारत के महानतम खिलाड़ियों में गिना जाता है। मिल्खा सिंह को ‘फ़्लाइंग सिख’ के नाम से भी जाना जाता है। उन्हें भारत सरकार द्वारा ‘पद्मश्री’ प्रदान किया गया है। वह रिटायरमेंट के बाद पंजाब में ‘डायरेक्टर आफ स्पोर्ट्स’ के पद पर कार्यरत हैं।
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