बढ़ता जा रहा है नेटवर्क
इंडिया में स्मार्टफोन मार्केट की ग्रोथ को देखते हुए सब्सक्राइबर में काफी इजाफा हुआ है. बुधवार को संसद में टेलिकॉम मिनिस्टर रवि शंकर प्रसाद ने कहा कि, '120 करोड़ की जनसंख्या के बीच इंडिया में 95.5 करोड़ लोगों के पास मोबाइल फोन आ चुके हैं जोकि एक अच्छा संकेत है.' रवि शंकर ने आगे बताया कि, हमारे देश में स्मार्टफोन का प्रसार तेजी से हो रहा है. इसके चलते मोबाइल फोन नेटवर्क का विस्तार धीरे-धीरे बढ़ता जा रहा है. उन्होंने बताया कि, 'इनमें से 30 करोड़ कस्टमर्स के पास इंटरनेट कनेक्शन है, जोकि यूएस से ज्यादा है जबकि  चाइना से कम है. वहीं स्मार्टफोन यूजर्स के मामले में यह यूएस से सिर्फ एक कदम पीछे है.'

टेक्नोलॉजी को मिले बढ़ावा
रवि शंकर प्रसाद टेक्नोलॉजी डेवलेपमेंट फॉर इंडियन लैंग्वेज (TDIL) प्रोगाम को बढ़ावा देने पर विचार कर रहे हैं. इसका मकसद लैंग्वेज टेक्नोलॉजी का विस्तार करना है और साथ ही इंडियन लैंग्वेज के लिए सॉफ्टवेयर टूल्स एप्लीकेशन को विकसित करना है. प्रसाद ने इंडियन कस्टमर्स को उन्हीं की भाषा में सॉफ्टवेयर यूज करवाने का प्लॉन बनाया है. इस प्रोगाम के तहत यह सुनिश्चित किया जाएगा कि नागरिकों को उनकी भाषा में ही इंफॉर्मेशन और कम्यूनिकेशन टेक्नोलॉजी की सुविधा दी जाए. हालांकि TDIL प्रोग्राम के अंतर्गत मशीन ट्रांसलेशन, ऑप्टिकल कैरेक्टर रिकजनीशन, टेक्सट टू स्पीच, संस्कृत टूल्स, मोनोलिंगुअल सर्च इंजन जैसी टेक्नोलॉजी पर काम चल रहा है.     
बढ़ता जा रहा है नेटवर्क

इंडिया में स्मार्टफोन मार्केट की ग्रोथ को देखते हुए सब्सक्राइबर में काफी इजाफा हुआ है. बुधवार को संसद में टेलिकॉम मिनिस्टर रवि शंकर प्रसाद ने कहा कि, '120 करोड़ की जनसंख्या के बीच इंडिया में 95.5 करोड़ लोगों के पास मोबाइल फोन आ चुके हैं जोकि एक अच्छा संकेत है.' रवि शंकर ने आगे बताया कि, हमारे देश में स्मार्टफोन का प्रसार तेजी से हो रहा है. इसके चलते मोबाइल फोन नेटवर्क का विस्तार धीरे-धीरे बढ़ता जा रहा है. उन्होंने बताया कि, 'इनमें से 30 करोड़ कस्टमर्स के पास इंटरनेट कनेक्शन है, जोकि यूएस से ज्यादा है जबकि चाइना से कम है. वहीं स्मार्टफोन यूजर्स के मामले में यह यूएस से सिर्फ एक कदम पीछे है.'

टेक्नोलॉजी को मिले बढ़ावा

रवि शंकर प्रसाद टेक्नोलॉजी डेवलेपमेंट फॉर इंडियन लैंग्वेज (TDIL) प्रोगाम को बढ़ावा देने पर विचार कर रहे हैं. इसका मकसद लैंग्वेज टेक्नोलॉजी का विस्तार करना है और साथ ही इंडियन लैंग्वेज के लिए सॉफ्टवेयर टूल्स एप्लीकेशन को विकसित करना है. प्रसाद ने इंडियन कस्टमर्स को उन्हीं की भाषा में सॉफ्टवेयर यूज करवाने का प्लॉन बनाया है. इस प्रोगाम के तहत यह सुनिश्चित किया जाएगा कि नागरिकों को उनकी भाषा में ही इंफॉर्मेशन और कम्यूनिकेशन टेक्नोलॉजी की सुविधा दी जाए. हालांकि TDIL प्रोग्राम के अंतर्गत मशीन ट्रांसलेशन, ऑप्टिकल कैरेक्टर रिकजनीशन, टेक्सट टू स्पीच, संस्कृत टूल्स, मोनोलिंगुअल सर्च इंजन जैसी टेक्नोलॉजी पर काम चल रहा है.     

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