गौर करें चीन की शर्तों पर
गौरतलब है कि चीन की ओर से यह प्रस्ताव कुछ साल पहले भी भारत के सामने रखा गया था। उस समय भी भारत को चीन की ओर से दिए गए इस प्रस्ताव की कुछ शर्तें मंजूर नहीं थीं। अब यहां यह जानना बेहद जरूरी होगा कि चीन की वह शर्तें क्या थीं, जो भारत को मान्य नहीं थीं। राजनयिक सूत्रों की ओर से मिली जानकारी पर गौर करें तो आचार संहिता के प्रस्ताव में चीन की सबसे बड़ी शर्त यह है कि दोनों पक्ष वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के करीब सैन्य क्षमता को बढ़ाने वाले किसी तरह के ढांचेगत निर्माण को स्वीकार्यता नहीं देंगे। नियंत्रण रेखा के करीब किसी भी तरह की सैन्य तैनाती नहीं की जाएगी। इसके अलावा सैनिक साज-सामान को भी जमा न किए जाने का भी प्रस्ताव इसमें शामिल था।

चीन की ओर से दी गई जानकारी
इस पूर मामले को लेकर चीन में विदेश मंत्रालय के एशियाई मामलों के महानिदेशक ह्वांग चल्यान ने बताया कि क्योंकि LAC पर सीमा को पहचानने में दिक्कतें हो रही हैं, ऐसे में भारत और चीन दोनों देशों को पहले सीमा पर विश्वास निर्माण के नए उपाय करने होंगे। इसके लिए जरूरी होगा कि सीमा की पहचान करने में दिक्कतों के कारण ही यहां शांति व्यवस्था को कायम रखने के लिए दोनों देशों को आचार संहिता का पालन करना होगा।

भारत का तर्क
अन्य राजनयिक सूत्रों से मिली जानकारी पर गौर करें तो भारत की ओर से इस प्रस्ताव को नहीं माना गया है। भारत की ओर से इसका कारण यह दिया गया है कि LAC के पीछे भारतीय इलाका पर्वतीय है। ऐसे में भारत को अपनी सैन्य तैनाती LAC के करीब ही करनी होगी. इसके विपरीत अगर कुछ किलोमीटर दूर अपने सैनिकों को तैनात रखने के लिए ढांचागत सुविधा बनाई जाएगी, तो इस स्थिति में वे आपात हालत में तुरंत LAC पर नहीं पहुंच सकेंगे। ऐसे में कोई भी घटना आसानी से घट सकती है।

पहली बार हुआ सार्वजनिक तौर पर खुलासा
बताया जा रहा है कि चीन ने कोड ऑफ कंडक्ट के अपने पुराने प्रस्ताव का पहली बार सार्वजनिक तौर पर खुलासा किया है। यह खुलासा भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से हाल ही में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से बातचीत के दौरान रखे गए उस प्रस्ताव के जवाब में किया गया, जिसमें उन्होंने कहा था कि दोनों देशों को सीमा पर शांति कायम रखने के लिए LAC की पहचान करनी होगी। शुरुआत में चीन की ओर से इस प्रस्ताव को मान लिया गया था।

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