- इंडिया नवोदय संस्था के आंकड़ों ने बताया सरकारी स्कूलों शिक्षकों को कामचोर

- पढ़ाने की बजाए राजनीति में ज्यादा ध्यान देते हैं शिक्षक

स्वाति भाटिया- आई एक्सक्लूजिव

Meerut। सरकारी स्कूलों में बेहतर शिक्षा प्रणाली के लिए सरकार कई कवायद करती है। यही नहीं, बच्चों के बहुमुखी विकास के लिए नित नई योजनाएं भी संचालित की जाती हैं। सरकारी स्कूलों को भी डिजिटल बनाने की कोशिश की जा रही है। लेकिन दूसरी ओर शिक्षकों की कार्यप्रणाली को बदलने में असफलता ही हाथ लग रही है। इंडिया नवोदय सरकारी संस्था के आंकड़ों को मानें तो यूपी में सरकारी स्कूलों के शिक्षकों की शैक्षणिक प्रणाली सबसे ज्यादा खराब है। आंकड़ों को मानें तो यूपी में 50 प्रतिशत सरकारी शिक्षक पढ़ाने में कामचोरी करते हैं।

बैठक में रखे आंकड़े

संस्था ने ये आंकड़े बीते दिनों लखनऊ के तमाम शिक्षा अधिकारियों व प्रशासनिक अधिकारियों की मीटिंग में पेश किए थे। इस बाबत यूपी के हर जिले के अधिकारी को लिखित निर्देश भेजने की तैयारी है। साथ ही कहा गया है कि स्कूलों में औचक निरीक्षण के दौरान शिक्षकों की कार्यप्रणाली का मुआयना करें। इसके साथ ही उनका रिकॉर्ड भी जांचे कि वो कितने दिन की और कितने घंटों की क्लास करते हैं। वहीं, शिक्षकों की एक रिपोर्ट तैयार करें।

तीसरे नंबर पर मेरठ

संस्था के आंकड़ों के मुताबिक यूपी में टीचर्स की लापरवाही में फर्रूखाबाद नंबर एक और हाथरस दूसरे नंबर पर है। वहीं मेरठ तीसरे नंबर पर है।

आंकड़ों की हकीकत

49 फीसदी सरकारी टीचर्स फर्रूखाबाद में सिर्फ 12 से 16 घंटे ही पढ़ाते हैं।

43 फीसदी टीचर्स हाथरस में महज 16 घंटे ही पढ़ाते हैं।

40 फीसदी टीचर्स मेरठ में महज

22 घंटे ही पढ़ाने जाते हैं।

शिक्षा की जगह सियासत

सर्वे की रिपोर्ट में पाया गया है कि टीचर्स पढ़ाने की बजाए पर्सनल काम को पूरा करने में जुटे रहते हैं। वहीं, 40 फीसदी शिक्षक तो सियासत चमकाने के चक्कर में स्कूल के समय पर विभागों में चक्कर काटते नजर आते हैं।

अधिकारी भी करते हैं खानापूर्ति

सर्वे के मुताबिक शिक्षा व्यवस्था पर आलाधिकारी भी संजीदगी नहीं दिखाते हैं.कई बार अधिकारी भी औचक निरीक्षण के नाम पर महज खानापूर्ति करते हैं।

वर्जन

संस्था के सदस्यों ने यूपी के विभिन्न जिलों में अपने स्तर पर सर्वे किया है। लखनऊ की बैठक में सर्वे रिपोर्ट को पेश भी किया गया है। सर्वे के मुताबिक अधिकांश सरकारी शिक्षक पढ़ाने से जी चुराते हैं।

विजय धामा, जिलाध्यक्ष, इंडिया नवोदय संस्था

स्कूलों को पहले भी कई बार पहले भी पढ़ाने के संबंधित नियमों के बारे में बताया गया है। शिक्षकों के शिक्षण कार्य पर ध्यान दिया जा रहा है। स्कूलों का औचक निरीक्षण किया जा रहा है।

श्रवण कुमार यादव, डीआईओएस