1. कैसे पड़ा नाम

आइए सबसे पहले आपको बताते हैं कि आखिर इसका नाम बुलेट ट्रेन क्यों पड़ा। जापान में पहली बार हाई स्पीड ट्रेन चलाने का विचार 1930 में आया। जब 1964 में पहली बार यह ट्रेन चली तो दिखने में वह बंदूक की गोली सरीखी नजर आती है फिर तो लोगों ने उसे बुलेट ट्रेन पुकारना शुरू कर दिया। जापानी बुलेट ट्रेन नेटवर्क को शिनकाशेन कहकर पुकारा जाता है जिसके मायने हैं नई मेन लाइन। शिन यानी नई व काशेन माने मेन लाइन।

2. सबसे तेज चलने वाली बुलेट ट्रेन चीन में 

व्यावसायिक रूप से संचालित सबसे तेज बुलेट ट्रेन चीन में है। शंघाई मैग्लेव ट्रेन रोजाना यात्रियों के साथ 268 मील प्रति घंटे की रफ्तार से अपना सफर पूरा करती हैं।

3. मैग्लेव बुलेट ट्रेन 

दुनिया की सबसे तेज चलले वाली गैर-मैग्लेव बुलेट ट्रेन फ्रांस में हैं। 2007 में यहां पर इसकी शुरूआत हुई थी। पहियों पर चलने वाली यह बुलेट ट्रेन 357.2 मील प्रति घंटे के हिसाब से दौड़ती है।

बुलेट ट्रेन के बारे में 15 बातें जो आप नहीं जानते होंगे

4. सबसे तेज मालगाड़ी 

फ्रेंच मेल सेवा काफी बेहतर है। टीजीवी ट्रेन फ्रांस की तेज सेवा है। दुनिया में इस्तेमाल होने वाली सबसे तेज माल गाड़ियों में यह शामिल है। यह 168 मील प्रति घंटे के हिसाब से दौड़ती है।

5. सबसे सुरक्षित 

बुलेट ट्रेन में यात्रा करना काफी सुरक्षित माना जाता है। आज 10 अरब से अधिक यात्रियों ने जापान की हाई-स्पीड रेल पर यात्रा की है, लेकिन आज तक इनमें कोई भी दुर्घटना में मृत्यु का शिकार नहीं हुआ है। दुनिया के दूसरे देशों में भी ऐसे में मामले कम ही सामने आए हैं।

6. 200 मील प्रति घंटे 

जब बुलेट ट्रेन कहीं से गुजरती है तो इसकी आवाज काफी तेज होती है। 200 मील प्रति घंटे की गति से चलने वाली इस बुलेट ट्रेन को चलने के लिए जापान सरकार ने जमीन के अंदर ही सुरंग बनाई है। सिग्नल, नियंत्रण, काफी बेहतर है।

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7. गति सीमा निर्धारित

सुरंग में बुलेट ट्रेन के गुजरने पर होने वाली आवाज मालगाड़ियों के उछलने के लिए काफी है। इसके लिए यहां पर सुंरग से गुजरने पर ट्रनों की एक गति सीमा निर्धारित की गई हैं। जिससे कि कोई नुकसान न हो।

8. साधारण ट्रेनों के मुकाबले 

आज भी ज्यादातर बुलेट ट्रेन मैग्लेव नहीं हैं। बुलेट ट्रेन आकर्षक तकनीक के बावजूद असाधारण चिकनी पटरियों पर ही चलती है। जो ज्यादातर मामलों में सामान्य ट्रेनों से संबंधित हैं। मैग्लेव या मैग्नेटिक लैविटेशन ट्रेन इलेक्ट्रोमैग्नेटिक ताकत के बल पर 10 मिलीमीटर ऊपर हवा में चलती है।

9. मैग्लेव का विशाल नेटवर्क 

वर्तमान में जापान मैग्लेव का एक विशाल नेटवर्क तैयार कर रहा है। यह बुलेट ट्रेन का भविष्य है। इसकी गति 375 मील प्रति घंटे दर्ज की गई है जो सबसे तेज गति है। 2027 तक जापान में इसका एक पूरा नेटवर्क तैयार करने की योजना है।

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10. सुहाना सफर 

मैग्लेव अन्य ट्रेनों की तुलना में काफी सहज और स्मूथ चलती है। इसके केबिन्स में कोई वाइब्रेशन और हार्डनेस नहीं होती है। पटरियों पर गुजरते समय भी इसमें पास में खड़े लोगों को भी आवाज से ज्यादा परेशानी नहीं होती है। जिसकी वजह से यह अट्रैक्ट करती है।

11. मील लंबा टेस्ट ट्रैक

जापान ने इन आने वाली नई जेनरेशन की ट्रेनों के परीक्षण के लिए एक टेस्ट ट्रैक बनाया है। यह 12 मील लंबा ट्रैक है। इस पर लोग आसानी से फ्री में चढ सकते हैं।

12. बेहद ताकतवर 

दुनिया की सबसे तेज ट्रेन बनाना अपने आप में खासा इंट्रेस्टिंग काम है। इसके बनाने वाले वर्कर भी इसमें काम के दौरान काफी अच्छा फील करते हैं। यह मैग्लेव चुंबक द्वारा चलने वाली ट्रेन है जो बिजली से चलने वाली ट्रेनों की तुलना में काफी शक्ितशाली है।

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13. बड़ा सा रेफ्रिजरेटर

इसे चलाने के लिए क्रायोजेनिक ठंडा करने की जरूरत होती है। इसमें एक निश्चित तापमान के समय इसका तापमान काफी कम हो जाता है। जो कि बिजली के प्रतिरोध में काफी कम और चुंबकीय क्षेत्र में बहुत होता है। इसके लिए इसमें एक बड़ा सा रेफ्रिजरेटर दिया गया है।

14. ट्रैक में मैग्नेट का इस्तेमाल

जमीन से ऊपर उठते हुए ऊपरी चुंबकीय बल से चलनेवाली यह मैग्लेव कभी पुस्ड की जाती है तो कभी पुल्ड की जाती है। यह सचमुच नीचे से ट्रेन को खींचने के लिए ट्रैक में मैग्नेट का कमाल होता है। हालांकि इसमें सब कुछ बिल्कुल स्थिर रहता है।

15. लोहे की पटरियों पर 

चुंबकीय उत्तोलन 1900 में शुरू हुई थी। इसके बाद जर्मनी ने इसे 1934 में ट्रेस किया था। इस दौरान हरमन केम्पर ने कारीब 12 साल तक मोनोरेल के लिए प्रयास किया। जिसमें चुंबकीय द्वारा लोहे की पटरियों पर बिना पहियों के वाहन चलाने की तैयारी हुई थी।

बुलेट ट्रेन के बारे में 15 बातें जो आप नहीं जानते होंगे

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