कानपुर। भारत बनाम ऑस्ट्रेलिया के बीच चार मैचों की टेस्ट सीरीज का तीसरा टेस्ट मेलबर्न के एमसीजी में खेला जा रहा। इस मैच में अभी तक मेहमान भारत का पलड़ा भारी दिख रहा। आखिरी पारी में कंगारुओं को जीत के लिए 399 रन चाहिए और उनके पांच विकेट गिर चुके हैं। ऑस्ट्रेलिया में ऑस्ट्रेलियाई टीम की ऐसी हालत बहुत कम देखने को मिलती है मगर इस बार कंगारुओं को जिस खिलाड़ी ने बैकफुट पर ला दिया, वो हैं तेज भारतीय गेंदबाज जसप्रीत बुमराह। बुमराह ने पहली पारी में अपने टेस्ट क्रिकेट का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हुए छह विकेट चटकाए। इस दौरान उनकी वो गेंद चर्चा का विषय रही जिसने शाॅन मार्श को आउट किया।

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रोहित के साथ मिलकर ऐसे बनाया था प्लाॅन

मैच के तीसरे दिन लंच से ठीक पहले ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाज शाॅन मार्श का जब विकेट गिरा तो हर कोई हैरान रह गया। ये विकेट बुमराह ने लिया। उन्होंने इस सीरीज की दूसरी सबसे धीमी गेंद डालकर मार्श को चकमा देकर उन्हें एलबीडब्लयू आउट कर दिया। बुमराह की यह स्लो याॅर्कर किसी के समझ नहीं आई, हालांकि मैच के बाद खुलासा हुआ कि इसके पीछे रोहित शर्मा का हाथ था। दिन का खेल खत्म होने के बाद बुमराह ने बताया, 'मेलबर्न विकेट काफी धीमी हो चुकी थी और गेंद भी काफी साॅफ्ट थी। ऐसे में एक तेज गेंदबाज के लिए कुछ अतिरिक्त करने का ऑप्शन नहीं बचता। लंच से ठीक पहले मिड-ऑफ पर फील्डिंग कर रहे रोहित शर्मा मेरे पास आए और उन्होंने कहा - तुम वनडे क्रिकेट में जिस तरह धीमी गेंद डालते हो, वैसी गेंद यहां भी फेक सकते हो। इसके बाद मैंने सोचा, हां ऐसा हो सकता है। उस दिन किस्मत मेरे साथ थी और मुझे इस बात की काफी खुशी है।'

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टेस्ट क्रिकेट में नहीं देखने को मिलती याॅर्कर

बुमराह ने आगे कहा, 'हमने दो तरह से प्लाॅनिंग बनाई थी। फुल लेंथ की धीमी गेंद फेंकने से शाॅन मार्श झुककर शाॅट मारते। ऐसे में या तो गेंद उन्हें चकमा देती या फिर अगर वह खेलते तो शाॅर्ट कवर पर कैच हो जाते। इसलिए मैंने धीमी गेंद फेंकी, वो भी फुल लेंथ में। खैर मार्श उस गेंद पर गच्चा खा गए और एलबीडब्ल्यू आउट हुए। यही हमारा प्लाॅन था जो काम कर गया।' हालांकि बुमराह मानते हैं कि टेस्ट क्रिकेट में इस तरह की गेंदों को ज्यादा प्रशंसा नहीं मिलती। सफेद गेंद के खेल में आप सिर्फ 10 ओवर गेंदबाजी करते हैं ऐसे में आप याॅर्कर डाल सकते हैं। मगर टेस्ट क्रिकेट में 25 ओवर डालने के बाद याॅर्कर के बारे में सोचना भी कठिन काम है क्योंकि हाथ थक चुके होते हैं और याॅर्कर फुलटाॅस गेंद बन जाती है।

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