साउथ अफ्रीका में टेस्ट में कभी नहीं हुआ क्लीनस्वीप

साउथ अफ्रीका में भारत का यह सातवां टूर है। 1992 में मो. अजहरुद्दीन की कप्तानी में भारत पहली बार अफ्रीका खेलने गया था। तब से लेकर अब तक भारत छह टूर कर चुका लेकिन कभी भी टेस्ट सीरीज में क्लीन स्वीप का दाग नहीं लगा। फिलहाल कप्तान विराट कोहली भी चाहेंगे, वह कोई अनचाहा रिकॉर्ड न बना दें। पहले केपटाउन और फिर सेंचुरियन टेस्ट हारने के बाद भारत का तीसरा और आखिरी मुकाबला जोहिंसबर्ग में होगा। भारत को यहां क्लीनस्वीप से बचना है तो कुछ अहम फैसले लेने होंगे। आइए जानें क्या हैं वो...

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टीम चयन में बदलाव

पिछले दो टेस्ट मैचों में कप्तान कोहली ने अपनी टीम में काफी कुछ बदलाव करने की कोशिश की, लेकिन वह कामयाब नहीं हुए। कई खिलाड़ी अंदर आए, कुछ बाहर गए मगर परिणाम पहले जैसा ही रहा। अब जब इज्जत बचाने की बात आ गई तो विराट कोहली को उन खिलाड़ियों पर भरोसा दिखाना होगा जो पहले भी अफ्रीका के खिलाफ अच्छा प्रदर्शन कर चुके हैं। इसमें सबसे पहला नाम आता है अजिंक्य रहाणे का। टीम इंडिया के लिए ओपनिंग करने वाले दाएं हाथ के बल्लेबाज अजिंक्य रहाणे को पहला टेस्ट और फिर दूसरा टेस्ट न खिलाना सबसे बड़ी गलती रही। रहाणे एक ऐसे बल्लेबाज हैं जिनका विदेशी धरती पर खूब बल्ला चलता है। अजिंक्य रहाणे का दक्षिण अफ्रीकी धरती पर 69.66, ऑस्ट्रेलिया में 57.00, वेस्टइंडीज में 121.50 और न्यूजीलैंड की पिचों पर 54.00 का औसत रहा है। ऐसे में उनके पुराने प्रदर्शन को नजरअंदाज करते हुए टीम से बाहर बिठालना भारतीय टीम पर भारी पड़ रहा।

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विराट को खुद उठानी होगी जिम्मेदारी

एक कप्तान की जिम्मेदारी होती है कि वह मुश्किल वक्त में टीम को संभाले। विराट ने मौजूदा टेस्ट सीरीज में दो मैच में चार पारियां खेली। इसमें एक पारी को छोड़ दिया जिसमें उन्होंने 153 रन बनाए थे। बाकी तीन में वह भी फ्लॉप रहे थे। कोहली को पता है कि उनकी टीम का कोई भी बल्लेबाज क्रीज पर टिक नहीं रहा, तो ऐसे में विराट को खुद आगे आकर मैच जिताऊ पारी खेलनी होगी। विराट काफी अनुभवी हैं और वह पहले भी टीम की जिम्मेदारी उठा चुके हैं। ऐसे कई मौके आए, जब भारतीय टीम के अन्य बल्लेबाज फ्लॉप रहे लेकिन कोहली का बल्ला चला है। विराट को वापस वही प्रदर्शन दोहराना होगा तभी क्लीनस्वीप से बचा जा सकता है।

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रोहित शर्मा बन रहे बोझ

सीमित ओवरों के सुपरहिट बल्लेबाज रोहित शर्मा टेस्ट मैच में उतने खतरनाक साबित नहीं हो पा रहे। विराट ने उनको दो टेस्ट में मौका दिया लेकिन रोहित की परफॉर्मेंस जस की तस रही। हालांकि इस पर काफी बहस भी हुई मगर विराट का कहना था कि उन्होंने रोहित की मौजूदा फॉर्म को देखकर प्लेइंग इलेवन में जगह दी है। अब यहां कप्तान को समझना होगा कि रोहित वनडे और टी-20 के स्पेशलिस्ट है ऐसे में टेस्ट टीम में उनकी जगह नहीं बनती। भारत को आखिरी मैच जीतना है तो रोहित की जगह किसी दूसरे बल्लेबाज को मौका देना होगा।

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पांड्या को चाहिए कोई समझाने वाला

भारत के महान खिलाड़ी कपिल देव के बाद भारतीय टीम में उनके जैसा कोई आलराउंडर खिलाड़ी नहीं आया। पिछले एक-दो सालों में हार्दिक पांड्या ने उस कमी को पूरा करने की कोशिश तो की लेकिन वह ओवरकांफिडेंस में आकर कई गलती कर बैठे। सेंचुरियन टेस्ट में उनकी कुछ बचकानी गलतियों ने टीम को हार के मुहाने खड़ा कर दिया था। कपिल देव तो इतना नाराज हो गए, कि उन्होंने यहां तक कह दिया कि पांड्या भविष्य में ऐसी गलती करना जारी रखता है तो मेरी उससे तुलना मत करना। कपिल का इशारा साफ था कि, पांड्या अभी युवा हैं उन्हें जिम्मेदारी का अहसास कराने वाला कोई चाहिए। अब यह काम चाहें कोच करें या कप्तान।

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बनानी होगी पार्टनरशिप

एक अच्छे स्कोर तक पहुंचने के लिए सबसे जरूरी होता है साझेदारी। भारतीय टीम की बल्लेबाजी के दौरान इसी चीज की कमी देखी गई। बल्लेबाजों को थोड़ी बहुत अच्छी शुरुआत तो मिली लेकिन वह उसे बड़े स्कोर में तब्दील नहीं कर सके। रही कही कसर पुजारा और पांड्या ने पूरी कर दी, जो बेमतलब रन आउट होकर पवेलियन लौटे। भारतीय बल्लेबाजों ने अफ्रीकी गेंदबाजों को तोहफे में विकेट दे दिया। छोटे-छोटे अंतराल में विकेट गिरते गए। अगर एक भी अच्छी साझेदारी हो जाती तो भारत यह मैच जीत सकता था।

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