आखिरी टेस्ट के अंतिम दिन वेस्टइंडीज़ ने भारत के समक्ष क़रीब 50 ओवरों में जीत के लिए 179 रनों का लक्ष्य रखा था। भारतीय टीम ने तीन विकेट खोकर 94 रन बनाने के बाद मैच ड्रा करने में सहमति बना ली।

मैच के अंतिम दिन शतक बनाने वाले चंद्रपॉल को मैन ऑफ द मैच चुना गया। भारत के तेज़ गेंदबाज़ ईशांत शर्मा को उनके ज़बर्दस्त प्रदर्शन के लिए मैन ऑफ द सीरिज़ चुना गया। ईशांत ने आखिरी टेस्ट में छह विकेट लिए जबकि पूरी सीरिज़ में उन्होंने 23 विकेट लिए।

जब मैच ड्रा घोषित हुआ तो भारत को क़रीबन 90 गेंदों में 86 रन बनाने थे। टी 20 के दौर में कई क्रिकेट प्रशंसकों को दोनों कप्तानों के इस फ़ैसले से निराशा हुई होगी लेकिन टेस्ट क्रिकेट के जानकारों के अनुसार ये सही फैसला कहा जा सकता है।

कप्तान धोनी ने ड्रा करने के फ़ैसले को सही ठहराते हुए कहा, ‘‘ खेलने का फै़सला बड़ा रिस्क होता क्योंकि अगर हम हारते तो पूरी सीरिज़ की जीत खतरे में पड़ जाती। इसलिए हमने ड्रा करने का फ़ैसला स्वीकार किया.’’

मैच के आखिरी दिन वेस्टइंडीज़ ने अपनी दूसरी पारी में छह विकेट पर 224 रनों से आगे खेलना शुरु किया और चंद्रपॉल ने अपना शतक पूरा कर लिया। चंद्रपॉल ने 116 रन बनाए। पहली पारी में 204 रन बनाने के बाद वेस्टइंडीज़ ने दूसरी पारी में 322 रन बनाए थे।

भारत की दूसरी पारी की शुरुआत अच्छी नहीं रही और अभिनव मुकुंद को पहली ही गेंद पर एडवर्डन से पगबाधा आउट कर दिया। इसके बाद राहुल द्रविड़ और मुरली विजय ने पारी को सँभाला। विजय 45 रन बनाकर आउट हुए जबकि द्रविड़34 रन पर नाबाद रहे।

विजय के आउट होने के बाद रन गति तेज़ करने के लिए रैना को भेजा गया लेकिन वो 8 रन बनाकर ही आउट हो गए। द्रविड़ और लक्ष्मण टिक कर खेलते रहे और जब हर गेंद पर एक रन बनाने जैसी स्थिति आ गई तो मैच को ड्रा मान लेने का फ़ैसला किया गया।

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