मंगलयान का प्रक्षेपण इसरो के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से होगा.

इसरो के प्रवक्ता के अनुसार दि मार्स ऑर्बिटर मिशन (एमओएम) या मंगलयान का प्रक्षेपण पीएसएलवी सी25 के द्वारा किया जाएगा. इस यान का प्रक्षेपण पाँच नवंबर को दोपहर बाद 2.36 बजे होगा.

इस मंगलयान परियोजना की लागत करीब 450 करोड़ रुपए है.

इस मिशन का उद्देश्य  मंगल के परिक्रमा पथ में सैटेलाइट भेजने की भारत की तकनीकी क्षमता के प्रदर्शन के साथ ही मंगल पर जीवन के लक्षणों की खोज, मंगल की तस्वीरें लेना और वहाँ के वातावरण का अध्ययन जैसे अन्य कई अनुसंधान करना है.

1350 किलोग्राम के मंगलयान की पीएसएलवी (पोलर सेटेलाइट लॉंच वेहिकल) से प्रक्षेपण की प्रक्रिया श्रीहरिकोटा अंतरिक्ष केंद्र में पहले ही शुरू हो चुकी है.

एक हफ्ते की देरी

इसरो के अनुसार इस सैटेलाइट में कुल 15 किलो वजन के लघु आकार के वैज्ञानिक यंत्र होंगे. इन यंत्रों में पाँच उपकरण ऐसे होंगे जिनसे मंगल की सतह, वातावरण और खनिजों का अध्ययन किया जाएगा.

पाँच नवंबर को भारत भेजेगा मंगलयान

पृथ्वी की कक्षा छोड़ने के बाद स्पेसक्राफ्ट गहरे अंतरिक्ष में करीब 10 महीने तक रहेगा. यह यान सितंबर, 2014 में  मंगल के स्थानांतरण प्रक्षेप पथ में पहुँचेगा.

इस मंगलयान को अक्तूबर महीने के अंत में प्रक्षेपित किया जाना था लेकिन प्रशांत महासागर में ख़राब मौसम होने के कारण इसकी समय सीमा आगे बढ़ा दी गई.

भारत प्रशांत महासागर से इस यान पर नज़र रखना चाहता है जिसके लिए प्रशांत महासागर दो जहाज तैनात किए जाने थे.

ये जहाज प्रक्षेपण के कुछ मिनट मंगलयान पर नज़र रखेंगे जब ये प्रशांत महासागर के ऊपर से उड़ान भरेगा. खराब मौसम के कारण एक जहाज निर्धारित समय सीमा के अंदर प्रशांत महासागर में नहीं पहुँच सका था.

दूसरे जहाज़ के 22 अक्तूबर तक प्रशांत महासागर में पहुंचने की संभावना जताई गई थी.

अगर ये यान 19 नवंबर तक प्रक्षेपित नहीं हुआ तो इसे करीब दो साल के लिए टालना पड़ सकता है.

International News inextlive from World News Desk