प्रधानमंत्री निवास में नरेंद्र मोदी से मुलाकात करने के बाद थॉमस बाख ने रिर्पोटर्स से कहा, ‘हम ओलंपिक मेजबानी को लेकर आ रही खबरों से वाकिफ हैं. हमें इस पर थोड़ा आश्चर्य भी हुआ, क्योंकि इस पर बात करना बहुत जल्दी होगा. हमें अच्छा लगा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हमसे अपने विचार साझा किए. मोदी ओलंपिक मेजबानी पर गंभीरता से सोच रहे हैं, लेकिन सरकार के विशेषज्ञों और सिविल सोसाइटी से राय लेने के बाद ऐसा महसूस हुआ कि 15 सितंबर तक ओलंपिक की मेजबानी का सफलतापूर्वक दावा करना थोड़ा मुश्किल होगा. हम भविष्य में ओलंपिक मेजबानी को लेकर आपस में संपर्क में रहेंगे. 2024 ओलंपिक के लिए फिलहाल हम दोनों का एक ही मत है.’

मालूम हो कि केंद्र सरकार 2024 ओलंपिक के लिए मेजबानी का दावा करना चाहती थी, क्योंकि भारत ने कभी ओलंपिक खेलों की मेजबानी नहीं की है. भारत सरकार के खेल सचिव अजीत मोहन शरण और भारतीय ओलंपिक संघ (आइओए) के अध्यक्ष एन. रामचंद्रन पिछले माह आइओसी के अधिकारियों से मिलने लुसाने गए थे. इसके बाद केंद्र सरकार की तरफ से ओलंपिक मेजबानी को लेकर रुचि दिखाई गई थी.

 

बाख ने कहा कि आइओसी अध्यक्ष के तौर पर पहली बार भारत जैसे बेहतरीन देश में आने पर खुशी हुई. आइओए का निलंबन पिछले साल ही खत्म हुआ है और मुझे भारतीय खेल के भविष्य को बेहतर बनाने पर बातचीत का मौका मिला. आइओए को अभी भी अपने कदमों पर खड़ा होना है. बाख ने कहा कि सोमवार को भारत सरकार, आइओए और आइओसी के बीच समझौता किया गया. तीनों पक्ष मिलकर भारत को खेलों की महाशक्ति बनाने का प्रयास करेंगे. आइओसी भारत को सभी जरूरी मदद देगा. भारत में अंतरराष्ट्रीय स्तर के कोच, आधारभूत ढांचा बनाने में मदद की जाएगी. उन्होंने कहा कि मोदी देश में खेलों को बढ़ावा देना चाहते हैं. वह खेलों की उपयोगिता समझते हैं. हमने अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भारतीय खिलाडिय़ों के प्रदर्शन पर भी चर्चा की. हम दोनों ने यह माना कि भारत ‘सोया हुआ शेर’ है और उसे जगाने की जरूरत है. पीएम चाहते हैं कि आइओसी इसमें मदद करे और हमें ऐसा करने में खुशी होगी. भारत खेलों का पावरहाउस बन सकता है. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री भी भारतीय खेलों में स्वायत्ता के पक्षधर हैं और हम भी यही चाहते हैं.

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