1985 में शुरू हुई मुहिम

इंडिया में पोलियो के खिलाफ जंग 1985 में शुरू हुई थी। इस समय तक इंडिया में हर साल करीब 2.50 लाख बच्चे इस लाइलाज बीमारी का शिकार बनते थे। रोटरी इंटरनेशनल की ओर से इस अभियान की शुरुआत कर ओरल वैक्सीन की मदद से पोलियो को खत्म करने का प्रस्ताव पास किया गया। इसके बाद 1987 में वल्र्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन व यूनिसेफ ने भी इसमें अपना साथ निभाया। दस साल बाद 1995 में इंडियन गवर्नमेंट ने इस मुहिम से जुड़कर राष्ट्रीय पल्स पोलियो प्रोग्राम की स्टार्टिंग दिल्ली में की। वहीं एक साल बाद पूरे देश में पोलियो के खिलाफ यह प्रोजेक्ट शुरू हुआ।

तीन साल का इंतजार

इंडिया को बतौर पोलियो फ्री कंट्री का दर्जा पाने के लिए तीन साल का इंतजार करना पड़ा। डŽल्यूएचओ की गाइडलाइंस के तहत तीन सालों तक कोई भी पोलिस केस न मिलने की कंडीशन में ही किसी देश को पोलियो फ्री करार दिया जा सकता है। 13 जनवरी 2011 को पं। बंगाल के हावड़ा डिस्ट्रिक्ट में रुखसार नाम की गर्ल को पोलियो अफेक्टेड पाया गया। रुखसार साल 2011 में देश की इकलौती पोलियो अफेक्टेड इंसान थीं। तब से देश में पोलियो का कोई भी केस नहीं मिला।

बरेली का लास्ट केस

 2009 में बरेली डिस्ट्रिक्ट में पोलियो का आखिरी केस 31 दिसंबर 2009 में भमौरा में पाया गया। यहां 18 महीने के बच्चे महेश को पोलियो हुआ था। इसके बाद फिर कभी पोलियो का कोई केस नहीं मिला। हालांकि इससे पहले तक बरेली-मेरठ बेल्ट में पोलियो केसेज की भरमार थी। वहीं मुरादाबाद की हालत इतनी खराब थी कि इसे पोलियो फैक्ट्री तक कहा जाता था। रिकॉड्र्स के मुताबिक साल 2002 में देश भर में कुल 1600 पोलियो केसेज पाए गए थे। इनमें अकेले यूपी से 1242 केस थे। इसमें भी वेस्ट यूपी से यह आंकड़ा सबसे ज्यादा थे।

अभी चलेगा प्रोग्राम

भले ही इंडिया पोलियो फ्री कंट्री डिक्लेयर कर दिया गया हो, लेकिन देश में अभियान अब भी जारी रहेगा। दुनिया में अब भी तीन देश पाकिस्तान, अफगानिस्तान और नाइजीरिया पोलियो से जूझ रहे हैं। मेयर ने बताया कि जब तक इन देशों से पोलियो खत्म नहीं हो जाती, मुहिम जारी रहेगी।