27.4 फीसदी आबादी सिर्फ हिंदुओं की
कानपुर।
दक्षिण अमरीका के सूरीनाम में हर साल इसी दिन यानी कि 5 जून को इंडियन अराइवल डे मनाया जाता है। इस दिन को वहां भव्य रूप से सेलिब्रेट किया जाता है। दरअसल, कहा जाता है कि पहली बार हिन्दुस्तानी 5 जून को ही सूरीनाम में पहुंचे थे। बता दें कि सूरीनाम में 27.4 फीसदी आबादी सिर्फ हिंदुओं की है। इंडियन अराइवल डे को सूरीनाम में सेलिब्रेट करने के लिए भाषण और परेड सहित कई कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है।  

पांच साल के कॉन्ट्रैक्ट पर लाया गया
'गार्जियन' की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 5 जून, 1873 को, पहली बार कई मजदूर भारत से सूरीनाम की आधुनिक राजधानी पैरामारिबो पहुंचे थे। इसके बाद 1873 से 1916 के वर्षों के दौरान करीब 34,000 से अधिक भारतीय मजदूरों को पांच साल के कॉन्ट्रैक्ट पर लाया गया, उनमें से अधिकतर उत्तर प्रदेश और बिहार से थे। डच लोगों ने इन भारतीयों को श्री राम की पवित्र भूमि और तीर्थयात्रा बताकर सूरीनाम पहुंचा दिया और बाद में उन्हें वहां की नागरिकता दे दी। यह जानकार आपको हैरानी होगी कि सूरीनाम में सबसे अधिक भोजपुरी या कैरीबियन भाषा बोली जाती है।

2 डॉलर से कम पर जीवनयापन करते हैं लोग
गौरतलब है कि सूरीनाम, आधिकारिक तौर पर सूरीनाम गणराज्य के नाम से जाना जाता है जो कि दक्षिण अमरीका महाद्वीप के उत्तर में स्थित एक देश है। सूरीनाम दक्षिण अमरीका का क्षेत्रफल और आबादी के हिसाब से सबसे छोटा संप्रभु देश है। सूरीनाम को 25 नवंबर, 1975 में आजादी मिली थी। सूरीनाम को कुल 10 जिलों में विभाजित किया गया है। सूरीनाम का समाज बहुसांस्कृतिक है, जिसमें अलग-अलग जाति, भाषा और धर्म वाले लोग निवास करते हैं। देश की एक चौथाई जनता हर दिन 2 डॉलर से कम पर जीवनयापन करती है। इसके अलावा सूरीनाम बहुत से प्रसिद्ध फुटबॉल खिलाड़ियों की जन्म-भूमि भी रही है।

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