विदेशों से आए विशेषज्ञों ने आंखों की बीमारी का इलाज बताया

आगरा। रंग-बिरंगी दुनिया के नजारे देखने के लिए नजरें होना जरूरी हैं। और ये नजरें बिना आंखों के संभव नहीं है। लिहाजा आंखों के बिना इस हसीन दुनिया की कल्पना करना बेमानी भरा है। कुछ यही सलाह विट्रियो रेटिना सोसाइटी की 23 वीं नेशनल कांफ्रेंस में दी गई। इस मौके पर आंखों की नई बीमारी और उनके उपचार के लिए नई तकनीक के बारे में भी बताया गया। न सिर्फ देश बल्कि विदेशों से आए विशेषज्ञों ने आंखों के मर्ज का इलाज बताया।

वीडियो रिकॉर्डिग भी दिखाई

इजिप्ट से आए आई सर्जन हेनरी हैमजा ने अपनी टीम के साथ अपने द्वारा इजाद की गई सर्जरी तकनीक के बारे में बतायज्ञ। रेटिना में आई कई तरह की खराबियों को उन्होंने प्रोजेक्टर के माध्यम से बताया। शॉर्ट डॉक्यूमेंट्री में उन्होंने रेटिना में आई खराबी को दूर करने के लिए किए जाने वाले ऑपरेशन में बरतने वाली सावधानियों को भी दिखाया।

जन्म के दौरान भी बीमारी पॉसीबिल

कनाडा से आए डॉ। एनएनएल ने बताया कि जो प्रीमेच्योर बेबी हैं, यानी नौ महीने से पहले जन्म ले लेते हैं, उनकी आंखों में भी खराबी आने की आशंका रहती है। उन्होंने कहा बच्चों की आंखों में अगर जरा भी दिक्कत आए आए तो तुरंत नेत्र विशेषज्ञ से संपर्क करना चाहिए।

बढ़ती उम्र भी बड़ी वजह

अमेरिका से आए डॉ। रिचर्ड स्पेस ने बताया कि बढ़ती उम्र में अक्सर रेटिना में भी प्रॉब्लम बढ़ने लगती है। इसके लिए पेशेंट का ट्रीटमेंट कई भागों में बांटकर किया जाता है। ट्रीटमेंट की ये नई तकनीक भी उन्होंने लोगों को समझाई।

हाई बीपी भी रेटिना के लिए खतरनाक

डॉक्टर्स ने बताया कि चोट लगने से भी रेटिना में गड़बडि़यां आ जाती हैं। हाई ब्लड प्रेशर से रेटिना में खराबी के बारे में जानकारी दी। रेटिना की कोशिकाओं में ब्लड के रूकावट की वजह से रेटिना के खराब होने के बारे में भी बताया। मोतियाबिंद के ऑपरेशन के बाद यदि किसी कारण आंख में मवाद पड़ जाता है तो ऐसे केस में बिना टांके के निकाला जा सकता है। इसके लिए अब एडवांस टेक्नोलॉजी की मशीनें आ गई है।

हार्ट प्रॉब्लम को न ले हल्के में

कोयम्बटूर से आए डॉ। गोपाल ने बताया कि अगर पांच वर्ष तक के बच्चों को अगर हार्ट प्रॉब्लम है तो उसको रेटिना प्रॉब्लम हो सकती है। जरूरी है कि समय रहते इसका इलाज हो। लखनऊ से आए विशेषज्ञ ने बताया रेटिना की संपूर्ण जांच के लिए आई ड्रॉप डालकर आधे घंटे बाद ही रेटिना की जांच संपूर्ण जांच मानी जा सकती है। नेशनल कांफ्रेंस में डॉ। अर्नवदास, डॉ। ललित वर्मा, डॉ। दिनेश तलवार, डॉ। चारु मित्तल, डॉ। मुरलीधर, डॉ। गुंजन आदि का सहयोग रहा।