पहली बार पहनी चूडिय़ां, संगम तट घूमकर हुई शहर पर फिदा

वह पहली बार इंडिया आई है। पूर्वज करीब डेढ़ सौ साल पहले यहां रहते थे। इससे इंडिया के बारे में सुना तो था लेकिन यहां के लोग इतने जिंदादिल और खुशमिजाज होंगे, यह यहां आने पर ही पता चला है। संगम तट घूमने और यहां के लोगों से मिलने के बाद भारतीय रीती-रिवाज और संस्कृति से वह इतना जुड़ गई है कि ठान लिया है, दूल्हा तो कोई इंडियन ही होगा। आईआईआईटी में चल रहे साइंस कान्क्लेव में हिस्सा लेने आई भामिनी कुमुडु ने आई नेक्स्ट से शेयर की अपने दिल की बात और वह भी कुछ इस अंदाज में कि भारत में रहने वाले हर आदमी को इण्डियन होने पर फक्र हो जाए।

I love my India

मारिसस की रहने वाली भामिनी कहती हैं कि उनके पूर्वज आन्ध्र प्रदेश के रहने वाले थे। तीन पीढ़ी पहले उसके पूर्वज यहां से बिजनेस के सिलसिले में मॉरिसस गए तो वहीं के होकर रह गए। बावजूद इसके उसके पैरेंट्स इण्डिया को बहुत मिस करते हैं। उसकी फैमिली में हर इण्डियन की तरह ही हिन्दू ओरिजन से जुड़े सारे फेस्टिवल मनाए जाते हैं और विशेष अवसरों पर महिलाएं और लड़कियां आधुनिक परिधानों की जगह साड़ी पहनना, सिंदूर लगाना, चूड़ी पहनना पसंद करती हैं। इण्डिया से दिल से जुड़े होने के कारण वह यहां आने का बस अवसर खोज रही थी और जब मौका मिला तो झटपट चली भी आई। बेहद भावुक होकर भामिनी कहती है कि यहां से जाना भी यह सोचकर अभी मन दु:खी हो जाता है। लेकिन, मौका मिला तो वह दोबारा जरूर यहां आएगी। उसने अपनी बात आई लव माई इण्डियाकहकर खत्म की।

अब मारिसस तक खनकेगी चूड़ी

मेरे हाथों में नौनौचूडिय़ा हैंयह गाना आज भी हर किसी के दिलों को झंकृत कर देता है तो भला भामिनी कैसे चूक जाती। वेडनसडे को वह अपने फ्रेंड सर्किल के साथ संगम घूमने गई थी। यहां उसने चूडिय़ां भी खरीदीं। कैम्पस में हरी हरी चूडिय़ां पहनकर घूम रही भामिनी को जिसने भी देखा खासतौर पर दूसरी कन्ट्रीज से आए लोगों ने, वह चौंक पड़ा। भामिनी कहती हैं, ये चूडिय़ां अब हमेशा उसकी यादों का हिस्सा रहेंगी। भामिनी को बालीवुड मूवी और हिन्दी सिरीयल बेहद पसंद हैं। वह राजीव गांधी साइंस सेण्टर मारिसस में रिसर्च आफिसर है। उसके पिता रामदास रिटायर्ड आफिसर हैं और उसकी मां विजया भी सर्विस में हैं।