- सही समय पर सही गाइडेंस मिलने से करियर की राह हो जाती है आसान।
- आईआईटी में अपियर होने वाले स्टूडेंट्स को मिलता है खुद की एनालिसिस करने का मौका
ऐसे पता करें बच्चे की काबिलियत
किसी भी स्टूडेंट के लिए अपनी एबिलिटी और इंटरेस्ट को जानना बहुत जरूरी होता है लेकिन कम ही ऐसे साइकोलॉजिकल टेस्ट्स हैं, जो सही मायनों में स्टूडेंट्स के अंदर मौजूद एबिलिटीज की प्रॉपर एनालिसिस कर पाते हैं। ज्यादातर टेस्ट्स किसी एक फैक्टर पर ही जोर देते हैं, जैसे- स्टूडेंट की इंटेलिजेंस, उसका इंटरेस्ट या फिर उसकी एबिलिटी, लेकिन दैनिक जागरण आईनेक्स्ट इंडियन इंटेलिजेंस टेस्ट एक ऐसा साइकोलॉजिकल टेस्ट है, जो स्टूडेंट के हर आस्पेक्ट पर फोकस करता है। जानते हैं कि किन पैरामीटर्स को ध्यान में रखते हुए आईआईटी को डिजाइन किया गया है...
करियर को देता है सही दिशा
कम ही लोग जानते होंगे कि ह्यूमन्स में आमतौर पर सात तरह की इंटेलिजेंस मौजूद होती हैं, जिन पर फोकस करके उसे एक फुल-फ्लेज्ड क्वॉलिटी में बदला जा सकता है। आईआईटी इसी बात पर फोकस करते हुए डिजाइन किया गया है। जब तक स्टूडेंट को अपने अंदर मौजूद सही इंटेलिजेंस के बारे में पता नहीं चलेगा, वह सही डायरेक्शन में आगे नहीं बढ़ पाएगा। आईआईटी में अपियर होने से उसे अपनी एनालिसिस करने का मौका मिलता है।
एप्टिट्यूड के बारे में बताता है
इस एग्जाम को देने के बाद स्टूडेंट्स को अपने एप्टिट्यूड, रियल कैपेबिलिटीज और इंटरेस्ट के बारे में भी पता चलता है, जिसकी हेल्प से वे सही सब्जेक्ट्स का चुनाव कर पाते हैं। दरअसल, आईआईटी इसी ऑब्जेक्टिव के साथ डिजाइन किया गया है कि स्टूडेंट्स को अपने लिए सही करियर के बारे में पता चले इसीलिए कई बार यह स्टूडेंट्स की लाइफ का टर्निंग प्वॉइंट भी साबित होता है।
क्लास 5 से 12 तक के स्टूडेंट्स करें पार्टिसिपेट
कई बार यह देखा गया है कि जिन स्टूडेंट्स को सही एज में प्रॉपर गाइडेंस मिलती है, वो आगे जाकर अपनी फील्ड में काफी सक्सेसफुल होते हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि उन्हें समय रहते अपनी नेचुरल एबिलिटीज के बारे में पता चल जाता है, जिन्हें एनहैंस करके वो बेहतर रिजल्ट अचीव कर लेते हैं। यही कारण है कि आईआईटी में क्लास 5 से लेकर क्लास 12 तक के स्टूडेंट्स पार्टिसिपेट कर सकते हैं। क्लास 5 में ही आईआईटी में अपियर होने से स्टूडेंट्स को सेल्फ एनालाइजेशन करने का मौका मिलता है और इसके रिजल्ट की एनालिसिस करके वो स्कूल में बेहतर परफॉर्म कर सकते हैं। जबकि हाईस्कूल के स्टूडेंट्स इस एग्जाम में अपियर होकर अपने लिए सही स्ट्रीम के बारे में जान सकते हैं। इसी तरह इंटर के स्टूडेंट्स को भी सही फील्ड के बारे में पता चलता है और उनका टाइम सेव होता है। यही नहीं, उन्हें अपने डाउट़्स क्लियर करने का मौका भी मिलता है।
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