बेटियां आखिर बेटिंया ही होती हैं
हरविंदर सिंह ने इस वीडियो को अपलोड करके लिखा कि, ये बीबीसी को जवाब है कि बेटियां सिर्फ बेटियां होती हैं, वे भारतीय या ब्रिटिश नहीं होतीं. हरविंदर ने ये वीडियो इस बात के सबूत के तौर पर पोस्ट किया है कि भारत ही नहीं ब्रिटेन में भी रेप की भयावह स्थिति है लेकिन बीबीसी इसे मुद्दा नहीं बनाता. वीडियो 9 मार्च को पोस्ट किया गया था और अब तक उसे तकरीबन पांच हजार लोग देख चुके हैं. फिलहाल इस वीडियो की शुरुआत कुछ तथ्यों के साथ होती है. ये बताया जाता है कि दुनिया में सबसे ज्यादा रेप वाले देशों में यूके 5वें नंबर पर है. यूके की 10 परसेंट महिलाएं स्वीकारती हैं कि उनका यौन शोषण हुआ. आंकड़ों के मुताबिक यूके में हर रोज 250 महिलाओं से रेप होता है. ये आंकड़े हकीकत में और ज्यादा हो सकते हैं क्योंकि तमाम महिलाएं इसकी शिकायत तक नहीं करतीं. वहीं एक तिहाई ब्रिटिश पुरुष मानते हैं कि रेप के लिए महिलाएं ही जिम्मेदार हैं.

शादियां जल्दी टूट जाती हैं
इस वीडियो के तथ्यों के मुताबिक, यूके में रेप के केवल 10 परसेंट मामलों में ही सजा हो पाती है. हालांकि महिलाएं रेप का एक सीमा के बाद विरोध नहीं करतीं इसलिए रेप के बाद हत्या के आंकड़े कम हैं. इस वीडियो में ब्रिटेन की सामाजिक स्थिति पर भी तंज कसा गया है, इनका कहना है कि यहां 41 परसेंट शादियां 20 साल में ही टूट जाती हैं. वहीं 11 परसेंट आबादी गरीबी रेखा के नीचे रहती है जबकि 65 साल के अधिक उम्र के 31 परसेंट  लोग ओल्ड एज होम में रहते हैं.

रेप विक्टिम का इंटरव्यू
इस वीडियो में एक रेप पीड़िता का इंटरव्यू भी दिखाया जाता है. इस लड़की के साथ भी निर्भया जैसा हादसा हुआ था. क्रिसमस की रात इस महिला के साथ भी दरिंदगी को अंजाम दिया गया. रेप और मारपीट की शिकार खून से लथपथ ये युवती सड़कों पर हर किसी से मदद मांगती रही लेकिन कोई आगे नहीं आया. बाद में सड़क पर बेहोशी की हालत से उसे पुलिस ने उठाया और हॉस्पिटल पहुंचाया. इस महिला के रेपिस्ट को बाद में सजा तो हो गई लेकिन इसकी कानूनी प्रक्रिया भी काफी जटिल थी जिसने पीड़िता को और ज्यादा तोड़ दिया. कोर्ट में उससे तमाम फालतू के  सवाल पूछे गए. उसे पीड़िता की बजाय गवाह के रूप में पेश किया गया और उस खूंखार दरिंदे से आमना-सामना कराया गया. फिलहाल अपनी कहानी बताते हुए इस पीड़िता ने ब्रिटेन में रेप, उसके बाद पीड़िता के साथ बर्ताव और कानूनी प्रक्रिया की कलई खोलकर रख दी.
बेटियां आखिर बेटिंया ही होती हैं
हरविंदर सिंह ने इस वीडियो को अपलोड करके लिखा कि, ये बीबीसी को जवाब है कि बेटियां सिर्फ बेटियां होती हैं, वे भारतीय या ब्रिटिश नहीं होतीं. हरविंदर ने ये वीडियो इस बात के सबूत के तौर पर पोस्ट किया है कि भारत ही नहीं ब्रिटेन में भी रेप की भयावह स्थिति है लेकिन बीबीसी इसे मुद्दा नहीं बनाता. वीडियो 9 मार्च को पोस्ट किया गया था और अब तक उसे तकरीबन पांच हजार लोग देख चुके हैं. फिलहाल इस वीडियो की शुरुआत कुछ तथ्यों के साथ होती है. ये बताया जाता है कि दुनिया में सबसे ज्यादा रेप वाले देशों में यूके 5वें नंबर पर है. यूके की 10 परसेंट महिलाएं स्वीकारती हैं कि उनका यौन शोषण हुआ. आंकड़ों के मुताबिक यूके में हर रोज 250 महिलाओं से रेप होता है. ये आंकड़े हकीकत में और ज्यादा हो सकते हैं क्योंकि तमाम महिलाएं इसकी शिकायत तक नहीं करतीं. वहीं एक तिहाई ब्रिटिश पुरुष मानते हैं कि रेप के लिए महिलाएं ही जिम्मेदार हैं.

 


शादियां जल्दी टूट जाती हैं
इस वीडियो के तथ्यों के मुताबिक, यूके में रेप के केवल 10 परसेंट मामलों में ही सजा हो पाती है. हालांकि महिलाएं रेप का एक सीमा के बाद विरोध नहीं करतीं इसलिए रेप के बाद हत्या के आंकड़े कम हैं. इस वीडियो में ब्रिटेन की सामाजिक स्थिति पर भी तंज कसा गया है, इनका कहना है कि यहां 41 परसेंट शादियां 20 साल में ही टूट जाती हैं. वहीं 11 परसेंट आबादी गरीबी रेखा के नीचे रहती है जबकि 65 साल के अधिक उम्र के 31 परसेंट  लोग ओल्ड एज होम में रहते हैं.

 


रेप विक्टिम का इंटरव्यू
इस वीडियो में एक रेप पीड़िता का इंटरव्यू भी दिखाया जाता है. इस लड़की के साथ भी निर्भया जैसा हादसा हुआ था. क्रिसमस की रात इस महिला के साथ भी दरिंदगी को अंजाम दिया गया. रेप और मारपीट की शिकार खून से लथपथ ये युवती सड़कों पर हर किसी से मदद मांगती रही लेकिन कोई आगे नहीं आया. बाद में सड़क पर बेहोशी की हालत से उसे पुलिस ने उठाया और हॉस्पिटल पहुंचाया. इस महिला के रेपिस्ट को बाद में सजा तो हो गई लेकिन इसकी कानूनी प्रक्रिया भी काफी जटिल थी जिसने पीड़िता को और ज्यादा तोड़ दिया. कोर्ट में उससे तमाम फालतू के  सवाल पूछे गए. उसे पीड़िता की बजाय गवाह के रूप में पेश किया गया और उस खूंखार दरिंदे से आमना-सामना कराया गया. फिलहाल अपनी कहानी बताते हुए इस पीड़िता ने ब्रिटेन में रेप, उसके बाद पीड़िता के साथ बर्ताव और कानूनी प्रक्रिया की कलई खोलकर रख दी.


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